चंडीगढ़: हरियाणा के चुनावी किस्से देवीलाल, बंसीलाल और भजनलाल परिवार के बिना पूरे नहीं होते. प्रदेश का सबसे बड़ा सियासी कुनबा होने की वजह से सबसे ज्यादा कहानियां देवीलाल यानि चौटाला परिवार की हैं. जैसे-जैसे परिवार बढ़ा, वैसे-वैसे राजनीतिक महत्वाकाक्षाएं भी बढ़ती गईं. जिसका नतीजा ये हुआ कि परिवार के बीच ही चुनावी जंग होने लगी. हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक मौका ऐसा आया जब देवीलाल के दो बेटे एक ही सीट पर आमने-सामने हो गये. ये चुनाव हरियाणा के सबसे दिलचस्प मुकाबलों में गिना जाता है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव 2000
ये किस्सा है हरियाणा विधानसभा चुनाव 2000 का. सिरसा की रोरी विधानसभा सीट. इस चुनाव में इनेलो के टिकट पर पूर्व मुख्यमंत्री और देवीलाल के बड़े बेटे ओपी चौटाला चुनाव लड़ रहे थे. वहीं कांग्रेस ने ओपी चौटाला को चुनौती देने के लिए उनके खिलाफ देवीलाल के दूसरे बेटे और ओपी चौटाला के छोटे भाई रणजीत चौटाला को उतार दिया. देवीलाल के दो बेटों की जंग की वजह ये ये चुनाव चर्चा का विषय बन गया. रणजीत चौटाला भी पुराने नेता रहे हैं. देवीलाल के समय से वो विधायक और सरकार में मंत्री रह चुके थे. लेकिन देवीलाल की विरासत और पार्टी ओपी चौटाला को मिलने की वजह से रणजीत चौटाला बागी हो गये और दोनों भाइयों के बीच सियासी तल्खी बढ़ती गई.
ओपी चौटाला ने रणजीत चौटाला की दी शिकस्त
बड़े भाई ओपी चौटाला के खिलाफ चुनाव लड़कर रणजीत चौटाला ने अपनी बगावत को नया आयाम दे दिया. हलांकि इस चुनाव में ओपी चौटाला ने अपने छोटे भाई रणजीत चौटाला को 22 हजार 606 वोट से हरा दिया. 2000 में इनेलो ने सबसे ज्यादा सीटें जीती और ओपी चौटाला प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. इस चुनाव में इनेलो को 47 सीटें मिली थीं जबकि कांग्रेस को महज 21 सीट. हरियाणा में 2000 से 2005 तक पहली बार पूर्णकालिक इनेलो की सरकार बनी.
2 सीट से विधायक चुने गये थे ओपी चौटाला