तिरुवनन्तपुरम: केरल में आईआईटी पलक्कड़ के शोधकर्ताओं ने एक बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए, मानव मूत्र से बिजली पैदा की है. विश्व स्तर पर बढ़ती ऊर्जा मांगों से निपटने के लिए यह इनोवेशन प्रासंगिक है. पहले चरण में शोधकर्ताओं ने बिजली पैदा करने के लिए गोमूत्र का इस्तेमाल किया. इस प्रक्रिया में गोमूत्र एक कक्ष में एकत्र होगा और फिर वह इलेक्ट्रोकेमिकल रिसोर्स रिकवरी रिएक्टर में जाएगा, जो कांच से बनी छोटी कोशिकाओं की तरह दिखता है.
इन कोशिकाओं के अंदर मैग्नीशियम एनोड के रूप में उपयोग किया जाता है और वायु कैथोड के साथ काम करता है. अपने प्रारंभिक शोध में शोधकर्ताओं ने 50 कोशिकाओं का उपयोग किया. प्रत्येक कोशिका 100 मिलीलीटर गौमूत्र से काम करती है. शोधकर्ताओं ने दावा किया कि मूत्र-संचालित, स्व-चालित स्टैक्ड इलेक्ट्रोकेमिकल रिसोर्स रिकवरी रिएक्टर प्लंबिंग और इलेक्ट्रिकल मैनिफोल्ड्स के साथ-साथ एक इलेक्ट्रोकेमिकल रिएक्टर, अमोनिया सोखने वाला कॉलम, डिकोलराइजेशन और क्लोरीनीकरण कक्ष को एकीकृत करता है.
यह प्रणाली स्मार्टफोन और लैंप को रिचार्ज करने और टिकाऊ कृषि के लिए बिजली उत्पादन का दोहरा लाभ प्रदान करती है. 1 लीटर मूत्र यानि 10 कोशिकाओं से शोधकर्ता औसतन 1.5 वोल्ट बिजली उत्पन्न करने में कामयाब रहे. उत्पादित बिजली मोबाइल फोन चार्ज करने, इमरजेंसी लैंप और एलईडी लाइटें जलाने के लिए पर्याप्त थी.