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42वें संविधान संशोधन को लेकर राज्यसभा में निर्मला सीतारमण और जयराम रमेश में हुई नोकझोंक - 42TH AMENDMENT

इंदिरा गांधी के काल में 42वां संशोधन पारित हुआ था. इसको लेकर जयराम रमेश और निर्मला सीतारण के बीच तीखी बहस हुई.

Jairam Ramesh, Nirmala Sitharaman
जयराम रमेश (कांग्रेस नेता), निर्मला सीतारमण (वित्त मंत्री) (ANI)

By PTI

Published : Dec 16, 2024, 6:32 PM IST

नई दिल्ली : आपातकाल के दौरान 1976 में इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली तत्कालीन सरकार द्वारा किए गए 42वें संशोधन को लेकर राज्यसभा में सोमवार केंद्रीय मंत्री निर्मला सीतारमण और कांग्रेस के जयराम रमेश के बीच नोकझोंक हुई.

‘भारतीय संविधान के 75 वर्षों की गौरवशाली यात्रा’ विषय पर उच्च सदन में दो दिवसीय बहस की शुरुआत करते हुए सीतारमण ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को 1975 में देश में आपातकाल लागू होने के बाद हुए लोकसभा चुनाव में जब जनता ने सबक सिखाया तब उन्होंने 44वें संशोधन का समर्थन किया.

कांग्रेस के जयराम रमेश ने इस पर कहा कि इंदिरा गांधी ने खुद 1978 में 44वें संशोधन का समर्थन किया था, जिसमें 42वें संशोधन के कुछ हिस्सों को निरस्त करने का प्रस्ताव था क्योंकि उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें इसी वजह से भारी चुनावी नुकसान हुआ है.

सीतारमण ने मशहूर लेखक ग्रैनविले ऑस्टिन के हवाले से कहा, ‘‘किस तरह से 42वां संशोधन पारित किया गया था. विपक्षी नेता जेल में थे और राज्यसभा में एक भी व्यक्ति ने विरोध नहीं किया. लोकसभा में उनमें से सिर्फ 5 (सदस्यों) ने इसके खिलाफ बोला.’’

रमेश ने सीतारमण पर आरोप लगाया कि उन्होंने ऑस्टिन के उद्धृत शब्दों का चुनिंदा इस्तेमाल किया और बहुत सारी चीजों को नजरअंदाज कर दिया. रमेश ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि 1978 में जब 44 वां संशोधन पारित किया गया था तब इंदिरा गांधी ने संशोधन के समर्थन में मतदान किया था, जिसमें 42 वें संशोधन के कुछ हिस्सों को हटाने का प्रस्ताव भी था.

कांग्रेस नेता ने कहा कि इंदिरा गांधी ने यह कदम तब उठाया जब उन्हें एहसास हुआ कि 42वें संशोधन से उन्हें चुनावी हार का सामना करना पड़ा है. रमेश के हस्तक्षेप के तुरंत बाद, सदन के नेता जे पी नड्डा ने कहा कि जब यह संविधान संशोधन किया गया था तब मोरारजी देसाई देश के प्रधानमंत्री थे न कि इंदिरा गांधी.

रमेश ने कहा कि उन्होंने कभी नहीं कहा कि इंदिरा गांधी उस समय प्रधानमंत्री थीं. सीतारमण ने स्वीकार किया कि जयराम और नड्डा द्वारा उठाए गए बिंदु सही हैं. उन्होंने कहा कि इंदिरा गांधी ने ‘भारी चुनावी हार’ का सामना करने के बाद इंदिरा गांधी ने 44 वें संशोधन का समर्थन किया. सीतारमण ने कहा, ‘‘चुनाव में जब जनता ने सबक सिखया तब इंदिरा गांधी ने यह कदम उठाया.’’

उन्होंने कहा, ‘‘नेता सदन और जयराम रमेश सही हैं कि तब मोरारजी देसाई प्रधानमंत्री थे. इंदिरा गांधी ने 42वें संशोधन में बदलाव का समर्थन किया था.’’ बयालिसवें संविधान संशोधन अधिनियम 1976 के तहत भारतीय संविधान में तीन नए शब्द ‘समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष एवं अखंडता’ जोड़े गए थे जबकि 44वां संविधान संशोधन आपातकाल के दौरान किए गए कुछ संवैधानिक परिवर्तनों को वापस करने के लिए 1978 में किया गया था. इसे ‘आपातकाल सुधार संशोधन’ के रूप में भी जाना जाता है.

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