नई दिल्ली: एमपीओएक्स बीमारी के प्रसार पर कड़ा संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय के लिए कई टीमें गठित की हैं. सूत्रों के अनुसार, टीमें राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ निरंतर समन्वय बनाए रखेंगी और मंकीपॉक्स के प्रसार को रोकने के लिए उन्हें सुझाव देती रहेंगी. वर्तमान में भारत भर में मंकी पॉक्स बीमारी की जांच के लिए 32 प्रयोगशालाएं तैयार हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंकीपॉक्स के खिलाफ बड़े पैमाने पर सोशल मीडिया अभियान भी शुरू किया है. इसने कहा कि संक्रमित व्यक्ति के साथ लंबे समय तक निकट संपर्क और शरीर के तरल पदार्थों के साथ सीधे संपर्क मंकीपॉक्स के फैलने के दो प्रमुख कारण हैं.
मंत्रालय ने एक दिशा निर्देश में कहा है कि मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है जिसे देखभाल के साथ रोका जा सकता है. साथ ही कहा गया है कि यदि आप इसका लक्षण अनुभव करते हैं या किसी पुष्ट मंकीपॉक्स मामले के संपर्क में आए हैं, तो तुरंत अपने निकटतम स्वास्थ्य सुविधा केंद्र से संपर्क करें.
हालांकि भारत में इस साल मार्च से मंकीपॉक्स का कोई मामला सामने नहीं आया है और बड़े प्रकोप का जोखिम बहुत कम है. इसी क्रम में स्वास्थ्य मंत्रालय ने अपने दिशा-निर्देशों में कहा कि मंकी पॉक्स एक स्व-सीमित वायरल बीमारी है जो 2-4 सप्ताह तक रहती है, अधिकांश रोगी सहायक उपायों के माध्यम से ठीक हो जाते हैं.
मंकीपॉक्स के लक्षण और संकेत