बीजापुर:बस्तर के जिन जंगलों में जहां दोपहर की खड़ी धूप नहीं पहुंचती है वहां अब नक्सली डेरा डालकर बैठ गए हैं. जो नक्सली कभी दूसरों के लिए खौफ हुआ करते थे आज वो खुद दहशत में हैं. बस्तर के जगंलों में जहां नक्सलियों का एकछत्र साम्राज्य हुआ करता था वहां अब पुल पुलिया सड़क नजर आने लगे हैं. जवानों की बढ़ती मौजूदगी और जंगलों में सिमटते नक्सली अब बौखलाहट में हैं. फोर्स अब घने जंगलों में भी ड्रोन के जरिए नक्सलियों के मूवमेंट पर नजर रख रही रही है. फोर्स के बढ़ते दबाव को देखते हुए नक्सली अब खुद को बचाने में जुट गए हैं. खुद को जिंदा रखने के लिए नक्सली अब गोरिल्ला वार की नई तकनीक और हाईटेक एंबुश का सहारा अबूझमाड़ जैसे जंगलों में ले रहे हैं.
खुद को बचाने के लिए नक्सलियों ने बदली गोरिल्ला रणनीति: बीजापुर और दंतेवाड़ा की सीमा पर हाल ही में जवानों ने सर्चिंग के दौरान बड़ी सुरंग का पर्दाफाश किया. नक्सलियों ने ये सुरंग इंद्रावती नदी के किनारे बोड़गा गांव में बना रखी थी. दस फीट गहरी और तीन फीट चौड़ी इस सुरंग में एक वक्त में सैंकड़ों नक्सली छिप सकते थे. नक्सली अब आमने सामने की लड़ाई से ज्यादा पीठे के पीछे से वार करने की कोशिश कर रहे हैं.
डमी नक्सली संभाल रहे जंगल में मोर्चा:नक्सलियों ने जवानों को धोखा देने के लिए घने जंगलों में मुठभेड़ के दौरान डमी नक्सली खड़े करने का भी बंदोबस्त कर रखा है. जवानों को जंगल से नक्सलियों की डमी भी मिली है. काले कपड़े में घास पतवार भरकर नक्सली पेड़ों के पीछे इनको खड़ा कर देते हैं. मुठभेड़ के दौरान जवानों को लगता है कि सामने नक्सली हैं तो वो उसको टारगेट करते हैं. नक्सलियों की टीम इस बात का फायदा उठाकर दूसरी ओर से जवानों पर हमला बोल देती है. बस्तर के जंगलों में इससे पहले नक्सलियों के द्वारा ऐसे ट्रेंड का इस्तेमाल नहीं किया गया था. नक्सली संगठन अब इस नए एंबुश का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर करने लगे हैं.