हैदराबादःराष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक जिसका संक्षिप्त नाम नाबार्ड है. यह भारत की लीड विकास बैंक है. ग्रामीण विकास, कृषि, स्वरोजगार सहित व्यापक विकास की परिकल्पना के साथ संसद के अधिनियम के तहत 12 जुलाई 1982 को नाबार्ड अस्तित्व में आया था. इसके बाद से देश के विकास में यह लगातार तेजी से काम कर है. देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था के विकास में नबार्ड के योगदान को रेखांकित करने के लिए हर साल 12 जुलाई को नाबार्ड स्थापना दिवस मनाया जाता है.
विकास वित्त संस्था के रूप में नाबार्ड 5वें दशक में प्रवेश कर चुका है. देश में ऋण वितरण में व्याप्त असमानताएं, खासकर महिलाएं, लधु व सीमांत किसान की इस समस्या नाबार्ड ने काफी हद तक हल किया है. नाबार्ड ने 16.2 करोड़ ग्रामीण परिवार की महिलाओं को नाबार्ड ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से सशक्तीकरण किया है. नाबार्ड सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने के लिए लगातार काम कर रहा है. नाबार्ड भारत सरकार के सहयोग से प्राथमिक कृषि ऋण साख समितियां (पैक्स) का कम्प्यूटरीकरण के लिए लगातार काम कर रहा है. अगले 5 साल में 63,000 पैक्सों के कम्प्यूटरीकरण का लक्ष्य रखा गया है.
ग्रामीण आधारभूत संरचानाओं के वित्तपोषण के लिए नाबार्ड की ओर राज्य सरकार को 5 लाख करोड़ की संचयी राशि आवंटित की गई है. इसके तहत कृषि, ग्रामीण संपर्क व ग्रामीण क्षेत्र की 7.7 लाख से अधिक परियोजनाएं शामिल है. आधारभूत संरचना निधि जिसे आरआईडीएफ से 376 लाख हेक्टेयर की संचाई क्षमता का सृजन किया गया. 5.4 लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कों का निर्माण, 13.3 लाख मीटर के ग्रामीण पुलों का निर्माण किया गया है. वहीं 3,092.2 करोड़ व्यक्ति दिवसों के लिए रोजगार का सृजन किया गया.