नई दिल्ली: दिवंगत गैंगस्टर से नेता बने मुख्तार अंसारी के बेटे उमर अंसारी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दावा किया कि उनके पिता को दिए गए भोजन के माध्यम से "जहर" दिया गया था. उन्हें आवश्यक चिकित्सा उपचार से भी वंचित कर दिया गया था, जिसके कारण उनकी (मुख्तार अंसारी) हिरासत में मृत्यु हो गई. उमर ने कहा कि इंसानों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जा सकता. मुख्तार अंसारी उत्तर प्रदेश की जेल में बंद थे.
उमर ने 2023 में बांदा जेल के अंदर अपने पिता की सुरक्षा को खतरे का आरोप लगाते हुए एक याचिका दायर की थी. 28 मार्च को, मऊ सदर निर्वाचन क्षेत्र से पांच बार विधायक रहे अंसारी का बांदा के एक अस्पताल में ह्रदय गति रुकने से से निधन हो गया था. उमर अंसारी का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की बेंच के समक्ष कहा कि उनके मुवक्किल को अपने पिता की सुरक्षा के बारे में जो डर था वही हुआ. सिब्बल ने कहा कि, उन्होंने 2023 की याचिका में की गई प्रार्थना में संशोधन की मांग करते हुए एक आवेदन दायर किया है.
सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मौखिक रूप से टिप्पणी की, 'मिस्टर सिब्बल, हम उसे वापस नहीं ला सकते... आप यह अच्छी तरह से जानते हैं.' सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने मुठभेड़ जैसी स्थिति की आशंका जताई थी. सिब्बल ने पीठ को बताया कि याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उसके पिता को खाने में जहर दिया गया. सिब्बल ने दलील दी कि इस देश में इंसानों के साथ इस तरह का व्यवहार नहीं किया जा सकता और उन्होंने अदालत से इस मामले में जांच के लिए निर्देश देने का आग्रह किया.