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'MUDA लैंड स्कैम: 'बीजेपी, जेडीएस मुझे बदनाम करना चाहती है', सिद्धारमैया का आरोप - MUDA Land Scam - MUDA LAND SCAM

Karnataka CM Targets Opposition: MUDA लैंड स्कैम मामले में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे कर्नाटक के सीएम सिद्धारमैया ने कहा कि, भाजपा और जेडीएस उनकी प्रतिष्ठा को खराब करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने यह भी कहा कि, MUDA साइटों का आवंटन कानूनी है. वहीं डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भाजपा को चुनौती दी कि वह भाजपा की अनियमितताओं के बारे में चर्चा करने के लिए मीडिया या सार्वजनिक मंच पर आएं.

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सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार की प्रेस कॉन्फ्रेंस (ETV Bharar)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 26, 2024, 8:01 PM IST

बेंगलुरु:कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दारमैया पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं. इसी बीच उन्होंने कहा है कि, मैसूर शहरी विकस प्राधिकरण (MUDA) साइटों का आवंटन कानूनी है. उन्होंने कहा कि, मामले में उनका और उनकी पत्नी की कोई भूमिका नहीं है. साथ ही सीएम ने आरोप लगाया कि, मामले में बीजेपी और जेडीएस पार्टियां अपनी राजनीति चमकाने के लिए उन्हें बदनाम करना चाहती है. वहीं डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने भाजपा को चुनौती दी कि वह भाजपा की अनियमितताओं के बारे में चर्चा करने के लिए मीडिया या सार्वजनिक मंच पर आएं.

सीएम बोले, 'मुझे बदनाम करने की हो रही कोशिश'
मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधानसभा (विधान सौधा) में रिकॉर्ड लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अपनी सफाई दी और बीजेपी, जेडीएस पर आरोप लगाए. उन्होंने आगे कहा कि, विपक्ष वाले राजनीति से प्रेरित बयान देते है, जो निराशाजनक है. उन्होंने दोहराया कि, ये पार्टियां उनकी छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि, बीजेपी और जेडीएस को कांग्रेस का दोबारा सत्ता में आना बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

सिद्धारमैया ने कहा कि, विपक्ष सत्र में वाल्मीकि विकास निगम मुद्दे को छोड़कर राज्य की समस्या पर कोई बात नहीं की. विपक्ष की ओर से किसी ने भी राज्य में बाढ़ के बारे में बात नहीं की है. ऐसा लगता है कि सीएम और राज्य सरकार को बदनाम करने की मंशा है. उन्होंने कहा, MUDA साइटों का आवंटन कानूनी है. उन्होंने कहा, 'भाजपा-जेडीएस मेरा दूसरी बार सीएम बनना बर्दाश्त नहीं कर सकती.

'कुमारस्वामी से ही पूछिए कि तौलिया किसने डाला'
एचडी कुमारस्वामी के उस बयान पर टिप्पणी करते हुए कि राज्य में उस पद के लिए सीएम की कुर्सी पर तौलिया रखने वाले ही साजिश रच रहे हैं, सीएम ने डीके शिवकुमार की ओर देखते हुए कहा कि, ''हमारे पास सीएम बनने के लिए कई योग्य लोग हैं. उन्होंने पत्रकारों से कहा कि, कुमारस्वामी से ही पूछिए कि तौलिया किसने डाला. लंबी प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीएम सिद्धारमैया ने विपक्ष के खिलाफ जमकर निशाना साधा.

डीके शिवकुमार ने बीजेपी को दी चुनौती
वहीं, उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा, 'हम हमेशा की तरह विधानसभा सत्र में सीएम सिद्धारमैया द्वारा उल्लेखित बीजेपी प्रशासन के घोटालों को उजागर करेंगे. उन्होंने आगे कहा , इससे पहले कि भाजपा MUDA और वाल्मिकी निगम के मामलों के खिलाफ पदयात्रा निकाले, पहले उन्हें अपने समय में हुई अनियमितताओं के बारे में जवाब देना चाहिए. उन्होंने चुनौती देते हुए कहा कि, भाजपा किसी भी मीडिया या सार्वजनिक मंच पर आकर इन अनियमितताओं पर खुली बहस करे. डीके शिवकुमार ने कहा कि, वे चर्चा के लिए तैयार हैं. उन्होंने कुमारस्वामी, येदियुरप्पा, जगदीश शेट्टार, बसवराज बोम्मई और आर अशोक को खुली बहस में शामिल होने की चुनौती दे डाली.

इस बीच उसी प्रेस वार्ता में, कर्नाटक के शहरी विकास मंत्री बैराती सुरेश ने कई राजनेताओं की सूची जारी की है. जिन्हें MUDA में वैकल्पिक साइट आवंटित की गई है.

मंत्री सुरेश ने MUDA से केंद्रीय मंत्री एचडी कुमारस्वामी समेत जेडीएस और बीजेपी नेताओं को मिली साइटों की सूची जारी की. इसमें विपक्षी दल के नेताओं और अन्य लोगों को MUDA में बहुत सारी साइटें दी गई हैं. जेडीएस नेता मंजेगौड़ा, विधायक जीटी देवेगौड़ा के लिए 2 साइटें, शेखर, सीएन मंजेगौड़ा, एमएलसी एच विश्वनाथ, शेखर, पूर्व विधायक सारा महेश के लिए 2 साइटें और एचडी कुमारस्वामी के लिए 21,000 वर्ग फीट की साइट. ये सभी वैकल्पिक साइटें 50:50 के अनुपात में विभाजित हैं. मंत्री बैराती सुरेश ने कहा, न्यायिक आयोग इस सब की जांच करेगा.

MUDA से बीजेपी-जेडीएस नेताओं द्वारा प्राप्त साइटों के विवरण और नामों को पढ़ने के बाद, दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले मंत्री बैराती सुरेश ने एचडी कुमारस्वामी साइट से संबंधित कुछ दस्तावेजों का खुलासा किया. बैराती सुरेश द्वारा जारी दस्तावेज के अनुसार, एचडी कुमारस्वामी को 7 नवंबर 1984 को औद्योगिक उपनगर तीसरे चरण, मैसूरु में 21 हजार वर्ग फुट का औद्योगिक भूखंड आवंटित किया गया था. इस साइट का कब्जा विलेख 16 जनवरी 1985 को जारी किया गया था.

23 फरवरी 2017 और 16 अक्टूबर 2019 को, कुमारस्वामी ने मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण को एक याचिका दायर की और उन्हें आवंटित साइट आकार का आंशिक हिस्सा किसी और को आवंटित कर दिया. चूंकि उन्हें आवंटित साइट का पूरा क्षेत्र उपलब्ध नहीं है, इसलिए उन्होंने उद्योग शुरू करने के लिए एक प्रतिस्थापन साइट दिए जाने का अनुरोध किया है. 15. नवंबर 2020 को एक और अपील दायर की गई.

बाद में, 2023 में, MUDA बैठक के प्रस्ताव के अनुसार, आवेदक के अनुरोध के अनुसार एक प्रतिस्थापन साइट आवंटित करने का निर्णय लिया गया. मंत्री ने बताया कि बाद में प्राधिकरण के आयुक्त ने स्थल संख्या 23 को प्रतिस्थापन स्थल के रूप में देने का आदेश दिया था.

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