श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को एक लेटर लिखा है. इस लेटर में उन्होंने उन सरकारी कर्मचारियों का जिक्र किया है, जिन्हें आतंक के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है.
महबूबा ने अपने लेटर में आतंक के आरोप में बर्खास्त किए गए सरकारी कर्मियों को बहाल करने की मांग की है. उन्होंने सोशल मीडिया पर इस लेटर को शेयर भी किया है. उन्होंने कहा कि सीएम उमर अब्दुल्ला को उन पीड़ित परिवारों की दुर्दशा पर भी ध्यान देना चाहिए. जिन्हें बिना किसी जांच और निष्पक्ष सुनवाई के आधार पर मनमाने तरीके से सरकारी नौकरी से बर्खास्त किया गया है. आशा करती हूं कि उमर साहब इन पीड़ितों का दुख दूर करेंगे.
महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला को लिखा लेटर (ETV Bharat) बता दें, रविवार 10 नवंबर को लिखे अपने पत्र में महबूबा ने उमर से इन बर्खास्तगी के प्रभाव पर विचार करते समय मानवीय दृष्टिकोण अपनाने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि 2021 में एक टास्क फोर्स के गठन के बाद से यह प्रक्रिया चल रही है, जिसका उद्देश्य भारतीय संविधान के अनुच्छेद 311(2)(सी) के तहत बर्खास्तगी की संभावित रूप से योग्य गतिविधियों में संदिग्ध कर्मचारियों की जांच करना है. आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इस टास्क फोर्स ने अब तक कम से कम 70 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त किया है.
महबूबा ने हाल ही में पुलवामा के बेलो में नजीर अहमद वानी के परिवार से मुलाकात की, जहां उन्होंने 'ऐसी कार्रवाइयों के दर्दनाक परिणामों को प्रत्यक्ष रूप से देखा.' वानी की स्थिति का वर्णन करते हुए महबूबा ने कहा कि वह एक 'समर्पित तहसीलदार' थे, जिन्हें अनुच्छेद 311 के तहत बर्खास्तगी, यूएपीए के तहत गिरफ्तारी और 'कई वर्षों तक जेल में रहने के बाद आखिरकार अदालतों ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया.' इसके बाद उन्हें गंभीर स्वास्थ्य बीमारियां भी हो गईं, जिसके चलते 27 अक्टूबर, 2024 को हृदयाघात से उनकी मृत्यु हो गई. महबूबा ने कहा कि उनका शोकाकुल परिवार - जिसमें उनकी पत्नी और पांच बच्चे शामिल हैं. पीड़ित परिवार को अब उनकी पेंशन और अधिकारों को हासिल करने में मुसीबतों का सामना कर रहा है.
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