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माओवादी नेता सब्यसाची पांडा ने बंदूक छोड़ थामी किताबें, जेल से कर रहे MA की पढ़ाई - SABYASACHI PANDA

माओवादी लीडर सब्यसाची पांडा ओडिशा स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी (OSOU) से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं.

माओवादी नेता सब्यसाची पांडा ने बंदूक छोड़ थामी किताबें
माओवादी नेता सब्यसाची पांडा ने बंदूक छोड़ थामी किताबें (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 20, 2024, 7:44 PM IST

भुवनेश्वर:ओडिशा के जंगलों में ताकत और खौफ का परचम लहराने वाले टॉप माओवादी लीडर सब्यसाची पांडा इस समय लड़ाई के बजाय किताबों में डूबे हुए हैं. 2014 में गिरफ्तार होने के बाद से बरहामपुर जेल में बंद पांडा वर्तमान में ओडिशा स्टेट ओपन यूनिवर्सिटी (OSOU) से पब्लिक एडमिनिस्ट्रेशन में मास्टर डिग्री की पढ़ाई कर रहे हैं.

जेल अधिकारियों ने कथित तौर पर उनकी शैक्षणिक गतिविधियों के लिए पूरी सहायता प्रदान की है, जिसमें स्टडी मटैरियल, गाइडेंस और जेल के अंदर स्थापित एक स्पेशल स्टडी सेंटर तक एक्सेस शामिल है. इस संबंध में पुलिस अधीक्षक धीरेंद्र नाथ बारिक ने कहा, "यह पहल कैदियों के बीच शिक्षा को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयास का हिस्सा है, जिससे उन्हें व्यक्तिगत विकास और पुनर्वास का मौका मिलता है."

सब्यसाची पांडा कर चुके हैं ग्रेजुएशन
शिक्षा में पांडा की रुचि नई नहीं है. एमए में दाखिला लेने से पहले, उन्होंने इग्नू के माध्यम से ग्रेजुएशन की डिग्री और कई सर्टिफिकेट कोर्स पूरे किए. जेल अधिकारियों ने पुष्टि की है कि पढ़ाई के प्रति उनके समर्पण ने अन्य कैदियों को प्रेरित किया है और अब कई अन्य कैदी भी उनको फॉलो कर रहे हैं.

इस साल पांडा समेत छह कैदियों ने OSOU में विभिन्न कोर्स के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है. इसके अलावा, 89 कैदी राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (NIOS) के माध्यम से शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं, जिनमें से कई सेकेंड्री या सीनियर सेकेंडरी परीक्षा पास करना चाहते हैं.

शिक्षा के प्रति रुचि में लगातार वृद्धि
सब्यसाची के अलावा बरहमपुर जेल में कैदियों के बीच शिक्षा के प्रति रुचि में लगातार वृद्धि देखी गई है. 2024-25 शैक्षणिक वर्ष के लिए 120 कैदियों के सर्टिफिकेट कोर्स में बैठने की उम्मीद है, जबकि कई अन्य ग्रोजुएशन और पोस्ट ग्रेजपएशन कर रहे हैं

इस बीच वकील और कैदी दीपक पटनायक ने इन कार्यक्रमों के लाभों पर प्रकाश डालते हुए कहा, "शिक्षा कैदियों को जेल के बाद जीवन के उद्देश्य और आशा की भावना प्रदान करती है.".

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