नई दिल्ली: लगभग एक साल होने को है, मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच लगातार संघर्ष जारी है. इस स्थिति के बीच, मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार के साथ-साथ कुकी समुदाय से पिछले साल मई से लापता हुए 31 मैतेई लोगों की वापसी की सुविधा प्रदान करने की अपील की.
सोल्स ऑफरेड यूनाइटेडली फॉर ए लस्ट्रेटेड सोसाइटी (SOULS) के अध्यक्ष आरके बिजयलक्ष्मी ने कहा, 'उन परिवारों की पीड़ा को कम करने के लिए जो लापता व्यक्तियों के माता-पिता, पत्नी या परिजन हैं, लापता व्यक्तियों के ठिकाने का पता लगाना जरूरी है. इससे उन्हें अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिलती है, जिससे लापता घटनाओं का पटाक्षेप हो जाता है. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है. इसके अलावा, यदि शवों का पता नहीं चल पाता है, तो संबंधित अधिकारियों के लिए तत्काल आवश्यकता है कि वे लापता व्यक्तियों को अप्राप्य घोषित करें और तदनुसार प्रमाण पत्र जारी करें'.
गुरुवार को कई परिवार के सदस्यों ने अपने लापता परिजनों को वापस लाने के लिए कदम उठाने की अपील की है. बता दें कि SOULS मणिपुर की एक सामाजिक संस्था है जो लापता लोगों को ढूंढने का काम करती है. बिजयलक्ष्मी ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हमारी आवाज जरूर सुनेंगे. हम केंद्र सरकार से लापता लोगों का पता लगाने में मदद करने की अपील करते हैं'.
अपने परिवार के सदस्यों के अस्तित्व के बारे में अनभिज्ञ, अस्थिर राज्य में पीड़ितों के कई परिजन पहले ही पैंगोंग पेड़ के पत्तों का उपयोग करके मैतेई परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके हैं. युमखैबम किरण कुमार के साथ 6 मई, 2023 से लापता पत्रकार एटम समरेंद्र की 47 वर्षीय पत्नी एटम कविता कहती हैं, 'मेरे पति लापता होने वाले पहले व्यक्तियों में से थे. मैंने उनके शव के स्थान पर पैंगोंग पेड़ के पत्तों का उपयोग करके हमारी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया है'.