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कर्नाटक: छात्र ने मेमोरी पावर के लिए इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया - student memory power

student sets India book of records for memory power: कर्नाटक के मंगलुरु में एक 9वीं कक्षा के छात्र ने अपनी स्मरण शक्ति को लेकर इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया. प्रतिभाशाली छात्र 16 लोगों की कही हुई बातें याद रख सकता है.

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छात्र का इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज (ETV Bharat Karnataka Desk)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 30, 2024, 8:49 AM IST

मंगलुरु: किसी की कही हुई बात को एक बार दोहराना बहुत मुश्किल काम है लेकिन यहां एक लड़के ने 16 लोगों की कही हुई बातें याद करके इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज करा लिया. मंगलुरु स्थित स्वरूपा अध्ययन केंद्र के 9वीं कक्षा के छात्र अन्वेश अम्बेकल्लू ने 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड' में अपना नाम दर्ज कराया है.

अन्वेश अम्बेकल्लू ने 16 विषयों को देखा, सुना, इसे अपने दिमाग में इसे स्टोर किया और फिर उसे सबके सामने पेश किया. विपरीत हालात में उसने 16 विषयों के तत्वों को याद करके यह अद्भुत कारनामा कर दिखाया और एक रिकॉर्ड बना दिया. अन्वेश ने अपनी पहली से सातवीं कक्षा तक की शिक्षा उप्पिनंगडी इंद्रप्रस्थ विद्यालय से पूरी की और वर्तमान में स्वरूपा अध्ययन केंद्र में नौवीं कक्षा की पढ़ाई कर रहा है. अन्वेश एक उभरती प्रतिभा है. वह इंजीनियर मधुसूदन अम्बेकल्लू और टीचर तेजस्वी अम्बेकल्लू के बेटे हैं. वे मूल रूप से दक्षिण कन्नड़ जिले के सुल्या के निवासी हैं और वर्तमान में बंटवाला के मेलकर में रहते हैं.

अम्बेकल्लू कक्षा 9 के विषय के अलावा एक ही महीने में कक्षा 10 के विषय को पूरा करके कई अन्य विषयों में 10 विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहा है. स्वरूपा अध्ययन केंद्र के निदेशक गोपडकर ने इस बारे में बात करते हुए कहा, 'मेमोरी को लेकर अन्वेश प्रथम स्थान पर है. उसकी क्षमता विशेष है. दस मेमोरी तकनीकों का अभ्यास करके उसने अब 16 लोगों द्वारा कही गई बातों को पूरी तरह से याद रखने का रिकॉर्ड बनाया है, जो एक विशेष उपलब्धि है.'

अन्वेश की मां तेजस्वी अम्बेकल्लू ने बताया, 'अन्वेश को बचपन से ही संगीत में रुचि थी. स्वरूपा स्टडी सेंटर आने के बाद उसमें काफी बदलाव आया है. वह मेमोरी टेक्नीक, बीट बॉक्स के जरिए परफॉर्म कर रहा है. यह रिकॉर्ड स्वरूपा स्टडी सेंटर की बदौलत ही संभव हो पाया है.' अन्वेश ने कहा, 'मैं अपने पिता और माता को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे स्वरूपा अध्ययन केंद्र भेजा. मैंने षोडशवधना से पहले अष्टावधना, दशावधना, त्रयादशवधना की. यह स्वरूपा अध्ययन केंद्र की वजह से ही संभव हुआ.'

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