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लोन धोखाधड़ी मामला: चंदा कोचर, पति की अंतरिम जमानत के खिलाफ CBI की याचिका का निपटारा - लोन धोखाधड़ी मामला

Loan fraud case : सुप्रीम कोर्ट ने लोन धोखाधड़ी मामले में चंदा कोचर और उनके पति की अंतरिम जमानत के खिलाफ सीबीआई की याचिका का निपटारा कर दिया है. बम्बई उच्च न्यायालय ने छह फरवरी को सीबीआई द्वारा चंदा कोचर और उनके पति की गिरफ्तारी को 'अवैध' ठहराया था.

Loan fraud case
लोन धोखाधड़ी मामला चंदा कोचर

By PTI

Published : Feb 12, 2024, 6:32 PM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने ऋण धोखाधड़ी मामले में आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) एवं प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके व्यवसायी-पति दीपक कोचर को अंतरिम जमानत देने से संबंधित बंबई उच्च न्यायालय के पिछले साल के आदेश को चुनौती देने वाली केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की याचिका का सोमवार को निपटारा कर दिया.

न्यायमूर्ति बेला एम. त्रिवेदी और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने याचिका का निपटारा उस वक्त कर दिया, जब जांच एजेंसी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) एस. वी. राजू ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पिछले सप्ताह मुख्य मामले में अपना फैसला सुनाया है, लेकिन इसे अभी तक वेबसाइट पर अपलोड नहीं किया गया है.

बम्बई उच्च न्यायालय ने छह फरवरी को सीबीआई द्वारा चंदा कोचर और उनके पति की गिरफ्तारी को 'अवैध' ठहराया था और दंपती को जमानत देने के अपने जनवरी 2023 के अंतरिम आदेश को सही ठहराया था. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह सीबीआई की याचिका का निपटारा कर रही है, लेकिन दोनों पक्षों को उच्च न्यायालय के मुख्य फैसले को कानून के मुताबिक चुनौती देने की आजादी होगी.

पीठ ने कहा, 'हम स्पष्ट करते हैं कि हमने मामले के गुण-दोष पर कोई राय व्यक्त नहीं की है.' सीबीआई ने वीडियोकॉन-आईसीआईसीआई बैंक ऋण धोखाधड़ी के आरोप में दंपती को 23 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तार किया था. उन्होंने अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए तुरंत उच्च न्यायालय का रुख किया और इसे अवैध घोषित करने की मांग की. उन्होंने अंतरिम राहत के तौर पर जमानत पर रिहा करने की भी मांग की थी.

उच्च न्यायालय ने नौ जनवरी, 2023 को अंतरिम आदेश जारी करते हुए उन्हें जमानत दे दी और बिना सोचे-विचारे 'लापरवाह और यांत्रिक' तरीके से दंपती को गिरफ्तार करने के लिए सीबीआई को कड़ी फटकार लगाई थी. सीबीआई ने अंतरिम आदेश को शीर्ष अदालत में चुनौती दी.

शीर्ष अदालत ने सीबीआई से पूछा था कि जब आईसीआईसीआई एक निजी बैंक था तो भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 409 कैसे लागू हुई. एजेंसी ने कहा था कि बैंक भले ही निजी हो, लेकिन मामला सार्वजनिक धन से जुड़ा है.

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि निजी क्षेत्र के ऋणदाता आईसीआईसीआई बैंक ने बैंकिंग विनियमन अधिनियम, भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों और बैंक की ऋण नीति का उल्लंघन करते हुए वेणुगोपाल धूत प्रवर्तित वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को 3,250 करोड़ रुपये का ऋण मंजूर किया था.

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