नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने आज कोलकाता में ट्रेनी डॉक्टर रेप-मर्डर मामले में सीबीआई की स्टेटस रिपोर्ट और पश्चिम बंगाल सरकार की रिपोर्ट पर सुनवाई की. सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने डॉक्टरों से काम पर लौटने की अपील की. जिसे नाराज डॉक्टरों ने मान लिया. इसस संबंध में एम्स नई दिल्ली की तरफ से कहा गया कि हम लोग 11 दिन से जारी हड़ताल को खत्म करने का फैसला ले रहे है.
ताजा जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव को निर्देश दिया कि वे राज्य के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों के साथ मिलकर काम पर लौटने के इच्छुक डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. कोर्ट ने निर्देश दिया कि बैठक एक सप्ताह के भीतर आयोजित की जाए और राज्य दो सप्ताह के भीतर सुधारात्मक उपाय करें. कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि राज्य चिकित्सा प्रतिष्ठानों में हिंसा की किसी भी आशंका को रोक सकें. इस बीच, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि आरजी कर मेडिकल कॉलेज में सीआईएसएफ को तैनात किया गया है. सुप्रीम कोर्ट मामले की अगली सुनवाई 5 सितंबर को करेगा.
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआई ने बंगाल पुलिस द्वारा मामले की जांच मे बरती गई लापरवाही को उजागर किया. सीबीआई ने कहा कि अंतिम संस्कार के बाद प्राथमिकी दर्ज की गई. केस की लीपापोती की कोशिश की गई. केंद्रीय जांच एजेंसी ने पांचवें दिन मामले की जांच शुरू की. तब तक सबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई. अस्पताल में लंबे समय से गड़बड़ी हुई. सीबीआई ने कहा कि केस डायरी एंट्री में देरी गलत ही नहीं बल्कि अमानवीय है. इस पूरे मामले में नियमों के अनुसार वीडियोग्राफी भी नहीं की गई.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सबूतों को संरक्षित करने में देरी हुई. सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई कि अंतिम संस्कार के बाद मुकदमा दर्ज किया गया. इस पूरे मामले की जांच में पश्चिम बंगाल पुलिस की भूमिका पर मामले की सुनवाई कर रही पीठ में शामिल एक जस्टिस ने कहा कि मैंने अपने 30 साल के करियर में ऐसा नहीं देखा. सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस द्वारा अप्राकृतिक मौत को अपने रिकॉर्ड में दर्ज करने में की गई देरी को 'बेहद परेशान करने वाला' बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह बहुत आश्चर्यजनक है कि मामला अप्राकृतिक मौत के रूप में दर्ज होने से पहले मृतक का पोस्टमार्टम किया गया.
सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल पुलिस से सवाल किया और पोस्टमार्टम के समय के बारे में पूछा. पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने जवाब दिया कि यह शाम 6:10 से 7:10 बजे के आसपास था. सुप्रीम कोर्ट ने आगे पूछा कि जब आप शव को पोस्टमार्टम के लिए ले गए थे तो क्या यह अप्राकृतिक मौत का मामला था या नहीं और अगर यह अप्राकृतिक मौत नहीं थी तो पोस्टमार्टम की क्या जरूरत थी. सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी की कि यह बहुत आश्चर्यजनक है क्योंकि पोस्टमार्टम अप्राकृतिक मौत के पंजीकरण से पहले होता है.
सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से कहा कि कृपया जिम्मेदारी से बयान दें और जल्दबाजी में कोई बयान न दें. सुप्रीम कोर्ट ने सिब्बल से आगे कहा कि जब भी वह मामले को अगली तारीख पर लेगी तो कृपया यहां एक जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को मौजूद रखें क्योंकि अदालत को अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि अप्राकृतिक मौत का मामला कब दर्ज किया गया था.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने आरोपी की चोट की मेडिकल रिपोर्ट के बारे में पूछा. वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि यह केस डायरी का हिस्सा है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने 5वें दिन जांच शुरू की, सब कुछ बदल दिया गया और जांच एजेंसी को नहीं पता था कि ऐसी कोई रिपोर्ट है. वरिष्ठ अधिवक्ता सिब्बल ने एसजी की दलील का खंडन किया और कहा कि सब कुछ वीडियोग्राफी है, न कि बदला गया. एसजी मेहता ने कहा कि शव के अंतिम संस्कार के बाद 11:45 बजे एफआईआर दर्ज की गई. पीड़िता के सहकर्मियों के आग्रह के बाद वीडियोग्राफी की गई और इसका मतलब है कि उन्हें भी कुछ संदेह था.
जेआई ने कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना चाहिए