नई दिल्ली: गृह मंत्रालय ने कहा है कि खालिस्तानी आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (SFJ) मणिपुर के मुसलमानों, तमिल और ईसाइयों को भारत से अलग होने के लिए उकसा रहा है. मंत्रालय ने कहा कि भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में लिप्त रहा है और देश की शांति, एकता और अखंडता को बाधित करने की क्षमता रखता है.
मंत्रालय के मुताबिक एसएफजे सेना और पुलिस बलों में सिख कर्मियों को भी भगाने के लिए उकसा रहा है. आतंकी संगठन गैंगस्टरों, आतंकवादियों और कश्मीरी अलगाववादियों सहित अन्य कट्टरपंथी तत्वों के साथ सांठगांठ भी कर रहा है. इसके अलावा एसएफजे को पाकिस्तान से समर्थन मिलना जारी है.
गृह मंत्रालय द्वारा तैयार एक बैकग्राउंड नोट में कहा गया है कि हाल ही में एसएफजे मणिपुर के मुसलमानों, तमिलों और ईसाइयों को भारत से अलग होने के लिए उकसा रहा है. वर्तमान में भारत में एसएफजे कार्यकर्ताओं या समर्थकों के खिलाफ राज्य या केंद्र शासित प्रदेश पुलिस और एनआईए द्वारा UAPA, आईपीसी, शस्त्र अधिनियम, आईटी अधिनियम, और विभिन्न अन्य लागू कानूनों की विभिन्न धाराओं के तहत लगभग 104 मामले दर्ज किए गए हैं.
हाल ही में गृह मंत्रालय के एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) न्यायाधिकरण ने सिख फॉर जस्टिस को केंद्र सरकार द्वारा गैरकानूनी संगठन घोषित करने की अवधि को 10 जुलाई 2024 से पांच साल की अवधि के लिए बढ़ा दिया है. गृह मंत्रालय ने एसएफजे को आतंकवादी संगठन घोषित करने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए अपना पृष्ठभूमि नोट तैयार किया.
एसएफजे को गैरकानूनी घोषित करने का निर्णय
गृह मंत्रालय द्वारा तैयार किए गए नोट के अनुसार, सिख फॉर जस्टिस यूएसए के आंतरिक राजस्व संहिता की धारा 501 (सी) (3) के तहत रजिस्टर है और एक गैर-लाभकारी, मानवाधिकार वकालत समूह होने का दावा करता है. यहा ऐसा माहौल बनाने का प्रयास करता है जिसमें अल्पसंख्यक स्वतंत्र रूप से आत्मनिर्णय के अपने अधिकार का प्रयोग कर सकें.
संगठन वैश्विक सिख समुदाय को मानवाधिकार उल्लंघन, नस्लवाद, धार्मिक और सांस्कृतिक असहिष्णुता आदि से जुड़े मुद्दों पर पैरवी करने और कानूनी वकालत करने और सिखों के राजनीतिक सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से एक अंतरराष्ट्रीय मंच प्रदान करने का भी दावा करता है.एसएफजे की गतिविधियाँ आमतौर पर न्यूयॉर्क और कैलिफोर्निया दोनों में इसके कानूनी सलाहकार गुरपतवंत सिंह पन्नू के कार्यालय से संचालित होती हैं.
एसएफजे का प्रोपेगेंडा
एसएफजे सिख आबादी वाले देशों में और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से तथाकथित जनमत संग्रह 2020 का प्रचार करता है. एसएफजे द्वारा शुरू की गई विभिन्न वेबसाइटें पंजाब के लोगों के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत आत्मनिर्णय के अधिकार का प्रचार करती हैं, जिसमें दावा किया जाता है कि पंजाबी आम भाषा है तथा पंजाब में सिखों की बहुलता होने के कारण उन्हें भाषा और धर्म के आधार पर आत्मनिर्णय का अधिकार है, जिससे राष्ट्रीय एकीकरण के लिए हानिकारक आरोप और दावे किए जाते हैं. यह भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करने के लिए हिंसा को बढ़ावा देता है और लोगों को भड़काता है.