एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सबरीमला में भगवान अयप्पा मंदिर में जारी विशेष पूजा के दौरान मलयालम अभिनेता दिलीप को "वीआईपी दर्शन" प्रदान करने के लिए पुलिस और त्रावणकोर देवस्वोम बोर्ड (टीडीबी) की आलोचना की. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इससे कई भक्तों के दर्शन में "बाधा" आई, जो कई घंटों तक कतार में खड़े रहे.
न्यायमूर्ति अनिल के नरेंद्रन और न्यायमूर्ति मुरली कृष्ण एस की पीठ ने पूछा कि अभिनेता को पांच दिसंबर को ऐसा विशेषाधिकार किस आधार पर दिया गया. पीठ ने शनिवार को अदालत में इसकी सीसीटीवी फुटेज पेश करने का निर्देश दिया.
अदालत ने पुलिस से एक रिपोर्ट तलब की, जिसमें यह बताने का निर्देश दिया गया कि दिलीप को किस वजह से महत्व दिया गया. साथ ही पीठ ने कहा कि अभिनेता पूरे ‘हरिवारासनम’ (भगवान अयप्पा को सुलाये जाने के लिए गायी जाने वाली लोरी) के दौरान मंदिर के बंद होने तक सोपानम के सामने पहली पंक्ति में खड़े रहे.
कोर्ट ने कहा कि उन्हें कौन सा विशेषाधिकार मिला हुआ है? वहां क्या हो रहा है? क्या इससे अन्य भक्तों के दर्शन में बाधा नहीं आएगी, जिनमें बच्चे व बुजुर्ग भी शामिल हैं और वे कई घंटों से कतार में खड़े थे? पीठ ने पूछा, “उनमें से कई को इंतजार करना पड़ा और कई अन्य श्रद्धालुओं को दर्शन किए बिना ही आगे बढ़ना पड़ा. वे किससे शिकायत करेंगे? उन्हें इतने लंबे समय तक वहां खड़े रहने की अनुमति कैसे दी गई? उन्हें विशेष व्यवहार क्यों किया गया? ”
इतना ही नहीं कोर्ट ने कहा कि केवल संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ही न्यायिक आदेशों के अनुसार इस तरह के विशेष व्यवहार की अनुमति है और इसलिए गुरुवार को जो हुआ वह निर्देशों का उल्लंघन था.
कोर्ट ने कहा कि हम अवमानना कार्रवाई शुरू करने पर विचार करेंगे. साथ ही हम अभिनेता को प्रतिवादी के रूप में शामिल करने पर भी विचार करेंगे. पीठ ने गुरुवार को वार्षिक मंडलम-मकरविलक्कु तीर्थयात्रा के दौरान सबरीमला में अभिनेता दिलीप को दिए गए ‘विशेष वीआईपी दर्शन’ की खबरों पर स्वत: संज्ञान लेते हुए इस मुद्दे को उठाया. बता दें कि वार्षिक तीर्थायात्रा के दौरान केरल और पड़ोसी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं के कारण मंदिर में भारी भीड़ होती है.
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