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जम्मू-कश्मीर: सरकारी कर्मचारियों को चुनाव लड़ने से रोकने वाले कानून को चुनौती, HC में 21 अक्टूबर को सुनवाई - Jammu Kashmir News

Ban on Government Employees : जम्मू-कश्मीर कर्मचारी (आचरण) नियम, 1971 की धारा 14 को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है और असंवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ बताया गया है. राजनीति विज्ञान के लेक्चरर जहूर अहमद भट ने अपनी याचिका में कहा है कि यह नियम भारत के संविधान के अनुच्छेद 13, 14 और 21 के तहत मिले मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है.

JK Lecturer Challenges Election Ban on Government Employees in High Court
जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Sep 4, 2024, 9:29 PM IST

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर कर्मचारी (आचरण) कानून, 1971 की धारा 14 की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है. यह नियम सरकारी कर्मचारियों को चुनाव लड़ने से रोकता है. याचिकाकर्ता जहूर अहमद भट का दावा है कि यह असंवैधानिक और लोकतांत्रिक सिद्धांतों के खिलाफ है. जहूर सरकार के स्कूली शिक्षा विभाग में राजनीति विज्ञान के सीनियर लेक्चरर हैं.

1971 के आचरण कानून की धारा 14 विशेष रूप से सरकारी कर्मचारियों को राजनीतिक गतिविधियों में शामिल होने, राजनीतिक दलों का समर्थन करने या राज्य के भीतर किसी भी राजनीतिक आंदोलन की सहायता करने से रोकती है. याचिका में तर्क दिया गया है कि यह नियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 13, 14 और 21 के तहत प्रदान किए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. अनुच्छेद 13 यह सुनिश्चित करता है कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करने वाले कानूनों की अनुमति नहीं है, अनुच्छेद 14 कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है, और अनुच्छेद 21 जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा करता है.

जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस मोहम्मद यूसुफ वानी की हाईकोर्ट की खंडपीठ ने याचिका स्वीकार कर ली है और अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

क्यों सामने आई कानूनी चुनौती
स्कूल शिक्षा विभाग के आयुक्त/सचिव द्वारा भट के 40 दिनों के अर्जित अवकाश (Earned Leave) के अनुरोध को अस्वीकार करने के बाद कानूनी चुनौती सामने आई. भट ने जम्मू-कश्मीर में आगामी विधानसभा चुनावों में भाग लेने के लिए छुट्टी मांगी थी, जो 18 सितंबर से शुरू होने वाले हैं.

अधिवक्ता शफकत नजीर के जरिये दायर की गई याचिका में भट ने इस बात पर जोर दिया कि संविधान सरकारी कर्मचारियों को उनके वोट के अधिकार का प्रयोग करने की अनुमति तो देता है, लेकिन यह उन्हें चुनावों में उम्मीदवार के रूप में खड़े होने से अतार्किक रूप से रोकता है. याचिका में कहा गया है कि यह प्रतिबंध जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 के साथ मेल नहीं खाता है, क्योंकि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 विधानसभाओं में प्रवेश करने के इच्छुक सरकारी कर्मचारियों पर ऐसी रोक नहीं लगाता है.

याचिकाकर्ता ने कहा है ति नियम 14 (1) संवैधानिक प्रावधानों के साथ सीधे टकराव में है और इसलिए यह भारत के संविधान के विरुद्ध है.

भट की छुट्टी देने का निर्देश देने की भी मांग
भट न केवल नियम 14 (1) को असंवैधानिक घोषित करने की मांग कर रहे हैं, बल्कि अदालत से संबंधित अधिकारियों को उन्हें छुट्टी देने का निर्देश देने का भी अनुरोध कर रहे हैं, ताकि वे आगामी विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ सकें. याचिका में कहा गया है, "याचिकाकर्ता का न केवल वोट देकर चुनावी राजनीति में भाग लेना बल्कि विधानसभा की सीट के लिए चुनाव लड़ना भी मौलिक अधिकार है. यह तर्कहीन है कि एक सरकारी कर्मचारी अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करके चुनावी राजनीति में भाग ले सकता है, जबकि उसे विधानसभा के लिए उम्मीदवार के रूप में खड़े होने के लिए चुनावी राजनीति में भाग लेने से रोका जाता है.

अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद जम्मू-कश्मीर में पहला विधानसभा चुनाव होने जा रहा है, पहले चरण का मतदान 18 सितंबर को होगा. दूसरे और तीसरे चरण के मतदान क्रमशः 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को होने हैं.

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