श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर की वित्तीय देनदारियां इतनी बढ़ गई हैं कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को मजबूरन कहना पड़ा कि उनके खजाने खाली हो गए हैं. खाली खजाने की वजह से ठेकेदारों, पेंशनरों, सेवानिवृत्त कर्मचारियों और आम लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि उन्हें अपने रोजमर्रा के काम चलाने में भी मुश्किल आ रही है.
एक नए न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में सीएम उमर ने माना कि केंद्र शासित प्रदेश की वित्तीय हालत खराब है लेकिन उन्हें उम्मीद है कि केंद्र उनकी सरकार को इससे उबारेगा. उन्होंने कहा, "पिछले 35 वर्षों की स्थिति से हमारी वित्तीय हालत अच्छी नहीं रही है. हालांकि, केंद्र सरकार ने पिछली सरकारों और उपराज्यपाल प्रशासन का भी साथ दिया है.
उमर ने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश का खजाना खाली है और उनकी सरकार के लिए भुगतान करना बहुत मुश्किल है. उन्होंने कहा, "विकास के लिए, फंडिंग में बहुत ज्यादा बाधाएं नहीं हैं. लेकिन वेतन और पेंशन का भुगतान करने के लिए, जब खजाना खाली हो तो अंतर को भरना हमारे लिए बहुत मुश्किल हो जाता है."
चालू वित्तीय वर्ष 2024-25 में केवल दो महीने शेष हैं, लेकिन जम्मू-कश्मीर की वित्तीय स्थिति गंभीर हो गई है. आधिकारिक सूत्रों ने ईटीवी भारत को बताया कि खजाना खाली होने के कारण ठेकेदारों, पेंशनरों और सेवानिवृत्त कर्मचारियों के सामान्य भविष्य निधि पर सरकार की देनदारियां बढ़ रही हैं.
वित्त विभाग के एक अधिकारी ने ईटीवी भारत को बताया, सरकार पर ठेकेदारों का 3000 करोड़ से अधिक, जीपी फंड के रूप में 1000 करोड़ रुपये और सेवानिवृत्त कर्मचारियों को अन्य लाभ देने का बकाया है. विकास क्षेत्र के लिए 40 हजार करोड़ रुपये से अधिक में से केंद्र सरकार ने अभी तक केवल 50 प्रतिशत धनराशि ही जारी की है. केंद्र ने कैपेक्स बजट (Capex budget) के लिए अब तक 90 प्रतिशत धनराशि जारी कर दी होगी, ताकि विकास कार्य और परियोजना की गति बढ़ सके.
जम्मू-कश्मीर केंद्रीय ठेकेदार समन्वय समिति के महासचिव फारूक डार ने ईटीवी भारत को बताया कि चालू वित्तीय वर्ष के लिए 1.18 लाख करोड़ रुपये के बजट में से लगभग 22,600 करोड़ रुपये विकास कार्यों के लिए आवंटित किए गए थे, लेकिन समय की कमी और अधिकारियों की सुस्ती, अकुशलता और इंजीनियरिंग विभागों में अतिरिक्त प्रभार के कारण इनमें से 40 फीसदी धनराशि लैप्स हो जाएगी.
केंद्र शासित प्रदेश की गंभीर वित्तीय स्थिति के बीच सीएम उमर अब्दुल्ला 6 जनवरी को नई दिल्ली पहुंचे, जहां उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की और पिछले वित्तीय वर्ष (2023-24) की देनदारियों को चुकाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने की मांग की, क्योंकि सरकार पर देनदारी बढ़कर 10,000-12,000 करोड़ रुपये हो गई है.