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'यह रथ यात्रा की पारंपरिक पवित्रता का अनादर है', इस्कॉन पर भड़के जगन्नाथ भक्त!

जगन्नाथ भक्तों ने इस्कॉन द्वारा 9 नवंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन में रथ यात्रा आयोजित करने के फैसले की निंदा की है.

रथ यात्रा
रथ यात्रा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 29, 2024, 6:31 PM IST

Updated : Oct 29, 2024, 7:21 PM IST

भुवनेश्वर: इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्णा कॉन्शियसनेस (इस्कॉन) द्वारा 9 नवंबर को अमेरिका के ह्यूस्टन में रथ यात्रा आयोजित करने के निर्णय की जगन्नाथ भक्तों ने कड़ी आलोचना की है. उनका तर्क है कि इस तरह का आयोजन रथ यात्रा की पारंपरिक पवित्रता का अनादर करता है, जो हिंदू शास्त्रों के अनुसार पुरी में हर साल आयोजित की जाती है.

भक्तों का मानना है कि मनमानी तारीखों पर इस तरह के जुलूसों का आयोजन भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के धार्मिक और सांस्कृतिक सार के विपरीत है. बढ़ते असंतोष के बीच, विभिन्न जगन्नाथ संगठनों के सदस्यों ने कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन से मुलाकात की और राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.

प्रामाणिक रथ यात्रा परंपराओं को बनाए रखने का आह्वान
यह समूह सरकार से प्रामाणिक रथ यात्रा परंपराओं को बनाए रखने का आह्वान कर रहा है, जो ओडिशा की सांस्कृतिक विरासत से गहराई से जुड़ी हुई हैं. जवाब में, ओडिशा के कानून मंत्री ने इस मामले पर इस्कॉन प्रतिनिधियों के साथ चर्चा करने और इन चिंताओं को सीधे संबोधित करने का वादा किया है.

कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन कहा कि श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन ने भी भारत में इस्कॉन के नेतृत्व से मिलने की अपनी मंशा की घोषणा की है, ताकि परंपरा के अनुसार रथ यात्रा को केवल उसके निर्दिष्ट नक्षत्र/तिथि पर ही आयोजित करने के महत्व पर बल दिया जा सके.

उन्होंने कहा, "भगवान जगन्नाथ के सभी भक्तों की जिम्मेदारी है कि वे पारंपरिक तिथि का पालन करें. मंदिर प्रशासन सभी संस्थाओं से अनुरोध करेगा कि वे इस पवित्र कार्यक्रम का सम्मान करें और उसका पालन करें."

जगन्नाथ सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष ने ज्ञापन सौंपा
जगन्नाथ सांस्कृतिक परिषद के अध्यक्ष संचित मोहंती ने कानून मंत्री को ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि वे और मुख्यमंत्री दोनों इस तरह के आयोजनों को रोकने के लिए हस्तक्षेप करें. उन्होंने कहा कि इस्कॉन के 3 नवंबर को स्नान यात्रा आयोजित करने की योजना ने चिंता को बढ़ा दिया है.

मोहंती ने कहा कि स्कंद पुराण के अनुसार चतुर्धा मूर्ति महाप्रभु (चार देवता - भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान सुदर्शन) का स्नान समारोह पारंपरिक रूप से पहले महीने की पूर्णिमा के दौरान होता है, जो इस तरह के जुलूसों के लिए एकमात्र उपयुक्त समय है.

मोहंती ने जोर देकर कहा, "अनियमित तिथियों पर रथ यात्रा आयोजित करना इन शास्त्रों की अवहेलना करता है और जगन्नाथ संस्कृति की विरासत का अनादर करता है."

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Last Updated : Oct 29, 2024, 7:21 PM IST

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