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ISRO ने ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ का समय दो मिनट आगे बढ़ाया - ISRO SPACE DOCKING EXPERIMENT

ISRO ने पीएसएलवी रॉकेट से किए जाने वाले अपने ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ के समय में बदलाव किया. इसे दो मिनट बढ़ा दिया है.

ISRO RESCHEDULES SPACE DOCKING EXPERIMENT BY TWO MIN
ISRO ने ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ का समय दो मिनट आगे बढ़ाया (X @isro)

By PTI

Published : Dec 30, 2024, 5:08 PM IST

श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) : भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सोमवार को एक पीएसएलवी रॉकेट के जरिए किए जाने वाले अपने ‘स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट’ के समय में फेरदबल किया है और इसे दो मिनट आगे बढ़ा दिया है. अंतरिक्ष एजेंसी ने यह जानकारी दी.

इसरो ने कहा कि भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है. यह मिशन मूल रूप से निर्धारित समय सोमवार को रात नौ बजकर 58 मिनट के बजाय रात 10 बजे प्रक्षेपित होगा. हालांकि, समय में फेरबदल के कारण के बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं मिल पाई है. इसरो ने सोमवार को इस बारे में नयी जानकारी देते हुए कहा, ‘‘प्रक्षेपण का समय है- आज रात ठीक 10 बजे, स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट (स्पाडेक्स) और नए पेलोड के साथ पीएसएलवी-सी60 उड़ान भरने के लिए तैयार है.’’

अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा, ‘‘स्पाडेक्स कक्षीय डॉकिंग में भारत की क्षमता स्थापित करने का एक महत्वाकांक्षी मिशन है, जो भविष्य में मानव युक्त अंतरिक्ष मिशन और उपग्रह सेवा मिशनों के लिए एक महत्वपूर्ण तकनीक है.’’ इसरो के एक अधिकारी ने बताया कि रविवार रात नौ बजे शुरू हुई 25 घंटे की उल्टी गिनती जारी है.

अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ के लिए यह एक किफायती प्रौद्योगिकी प्रदर्शन मिशन है, जिससे भारत, चीन, रूस और अमेरिका जैसी विशिष्ट सूची में शामिल हो जाएगा. यह मिशन श्रीहरिकोटा स्थित ‘स्पेसपोर्ट’ के प्रथम ‘लॉन्च पैड’ से प्रक्षेपित किया जाएगा और इसमें स्पैडेक्स के साथ दो प्राथमिक पेलोड तथा 24 द्वितीयक पेलोड होंगे.

‘स्पेस डॉकिंग’ तकनीक का तात्पर्य अंतरिक्ष में दो अंतरिक्ष यानों को जोड़ने की तकनीक से है. यह एक ऐसी तकनीक है जिसकी सहायता से मानव को एक अंतरिक्ष यान से दूसरे अंतरिक्ष यान में भेज पाना संभव होता है.

अंतरिक्ष में ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी भारत की अंतरिक्ष संबंधी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक होगी, जिसमें चंद्रमा पर मानव को भेजना, वहां से नमूने लाना, तथा देश के अपने अंतरिक्ष स्टेशन - भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का निर्माण और संचालन करना शामिल है. ‘डॉकिंग’ प्रौद्योगिकी का उपयोग तब भी किया जाएगा जब सामान्य मिशन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक से अधिक रॉकेट प्रक्षेपण की योजना बनाई जाएगी.

इसरो ने कहा कि पीएसएलवी रॉकेट में दो अंतरिक्ष यान- स्पेसक्राफ्ट ए (एसडीएक्स01) और स्पेसक्राफ्ट बी (एसडीएक्स02) को एक ऐसी कक्षा में रखा जाएगा जो उन्हें एक दूसरे से पांच किलोमीटर दूर रखेगी। बाद में, इसरो मुख्यालय के वैज्ञानिक उन्हें तीन मीटर तक करीब लाने की कोशिश करेंगे, जिसके बाद वे पृथ्वी से लगभग 470 किलोमीटर की ऊंचाई पर एक साथ मिल जाएंगे. इसरो अधिकारियों ने बताया कि यह प्रक्रिया सोमवार को निर्धारित प्रक्षेपण के लगभग 10-14 दिन बाद होने की उम्मीद है.

‘स्पैडेक्स मिशन’ में ‘स्पेसक्राफ्ट ए’ में हाई रेजोल्यूशन कैमरा है, जबकि ‘स्पेसक्राफ्ट बी’ में मिनिएचर मल्टीस्पेक्ट्रल पेलोड और रेडिएशन मॉनिटर पेलोड शामिल हैं. ये पेलोड हाई रेजोल्यूशन वाली तस्वीर, प्राकृतिक संसाधन निगरानी, ​​वनस्पति अध्ययन आदि प्रदान करेंगे.

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