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गुजरात के इस गांव में हो रही पानी की भयंकर किल्लत, जल संकट से जूझ रहे लोग - WATER CRISIS IN GUJARAT village

Gujarat Village Water Crisis: गुजरात में कपराडा तालुका के खड़कवाल गांव में लोगों को पानी की भयानक किल्लत का सामना करना पड़ रहा है. इस गांव की आबादी 2000 से ज्यादा है, जो पानी शहर के लोग पैर धोने तक के लिए इस्तेमाल नहीं करते, यहां के लोग मजबूरी में उस पानी को पीने के लिए मजबूर हैं. पढ़ें पूरी खबर.

WATER CRISIS IN GUJARAT
गुजरात में कपराडा तालुका के खड़कवाल गांव में भारी जल संकट (ETV Bharat)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 17, 2024, 6:02 PM IST

वलसाड (गुजरात): गुजरात में कपराडा तालुका के खड़कवाल गांव में गर्मी बढ़ने के साथ ही पानी की किल्लत बढ़ गई है. गांव के लोग जल आपूर्ति के लिए एक नाव में पानी भरने में लगातार 20 मिनट लगाते हैं, जो धीरे-धीरे एक छोटी सी पत्थर की खाई में खोबा जैसी जगह में चला जाता है. इतना ही नहीं, यहां के लोग हरा हो चुका पानी पीने को मजबूर हैं, जिसे शहर के लोग पैर धोने के लिए तक इस्तेमाल नहीं करते.

हैंडपंप और कुएं:कपराडा तालुका के खड़कवाल गांव की आबादी 2000 से ज्यादा है. मूलभाटी पालिया में करीब 200 लोग रहते हैं. पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण हर साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह से इस क्षेत्र में हैंडपंपों और कुओं से पानी की आपूर्ति बंद हो जाती है. इसके कारण यहां के लोगों को पास की नदी के पत्थर की घाटियों में बनी खोखली जगह से पानी लाना पड़ता है.

गांव निवासी दूर-दराज से ला रहे पानी (ETV Bharat)

एस्टोल समूह योजना:वलसाड जिले के कपराडा तालुक को चेरापूंजी का हिस्सा माना जाता है, लेकिन 100 इंच से अधिक वर्षा के बावजूद, कपराडा के कुछ गांवों को गर्मियों में पीने के पानी की कमी का सामना करना पड़ता है. लोगों को अब पानी का लाभ मिले, इसके लिए सरकार ने एस्टोल ग्रुप योजना लागू की है. परंतु अभी भी कुछ गांव ऐसे हैं जहां पानी की कमी है.

एस्टोल योजना जलापूर्ति योजना काफी हद तक पूरी हो चुकी है. एस्टोल योजना का काम विभिन्न गांवों में बड़ी टंकी या नाबदान बनने तक पानी उपलब्ध कराना था, लेकिन फिर टंकी से गांव के पालिया में घरों के नलों तक पानी पहुंचाने का काम वासमो को दे दिया गया. इनके द्वारा कई गांवों में पानी की पाइपलाइन व स्टैंड पोस्ट का निर्माण कराया गया है. साथ ही जल वितरण का कार्य ग्राम पंचायत में आयोजित जल समिति को सौंपा गया है, लेकिन समन्वय के अभाव के कारण कई गांवों में जल वितरण नहीं हो पाता है. इससे लोगों को पानी नहीं मिल पाता है.

पालिया में पानी का कोई स्रोत नहीं:कपराडा तालुका के खड़कवाल गांव में मूलभाटी पालिया में ग्रामीणों के लिए पीने के पानी की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. इसके परिणामस्वरूप लोगों को हरा पानी पीने के लिए मजबूर होना पड़ता है. वह पानी जो शहरी लोगों के पैर धोने के लिए भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है, वह पीने को मजबूर हैं. स्थानीय लोगों ने कई स्थानों पर मौखिक अभ्यावेदन दिया है, लेकिन अभी तक इन अभ्यावेदन पर कोई प्रतिउत्तर नहीं मिला है.

पानी की आपूर्ति पर बोले, अधिकारी:वलसाड के वासमो अधिकारी एचएम पटेल से जब इस बारे में बात की गई, तो उन्होंने कहा, 'जल वितरण की व्यवस्था पानी समिति ग्राम पंचायत को सौंपी गई है. खड़कवाल गांव में एक बड़ी पानी की टंकी का निर्माण किया गया है. और टंकी में पानी की आपूर्ति भी की जाती है, लेकिन हम नियुक्त व्यक्ति की जांच करके इस समस्या को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं. वितरण प्रणाली वितरण कर रही है या नहीं, हम इसकी जांच करेंगे'.

गांव के लोग गंदा हरा पानी पीने को मजबूर (ETV Bharat)

सुबह उठकर दूर-दराज जाकर पानी भरने को मजबूर - स्थानीय निवासी
गांव की एक स्थानीय महिला लक्ष्मीबेन गावी कहती हैं, 'हमें सुबह तीन बजे उठकर पत्थरों के बीच बने खांकी में पीने का पानी भरने जाना पड़ता है. इससे घर के कई काम रुक जाते हैं. खोबा जैसी जगह से केवल दो बिस्तरों को भरने के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध होता है. दो नावें भरने के बाद फिर से पानी इकट्ठा होने तक इंतजार करना पड़ता है'.

एस्टोल जल आपूर्ति योजना के बावजूद पानी की दिक्कत:586 करोड़ की इस 'एस्टोल जल आपूर्ति योजना' के कार्यान्वयन के बाद, कपराडा तालुका के 40 से अधिक गांवों के लोगों को उम्मीद थी कि गर्मियों में पीने के पानी की समस्या हल हो जाएगी. कुछ गांवों की टंकियों में पानी पहुंच गया है, लेकिन टंकी से घर-घर भेजे गए स्टैंड पोस्ट तक पानी पहुंचाने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं होने के कारण कुछ गांवों में अभी तक पानी नहीं पहुंच पाया है. इससे लोगों को पेयजल की समस्या से जूझना पड़ रहा है.

वलसाड जिले के कपराडा तालुका में समन्वय की कमी के कारण अभी भी कुछ गांवों में पानी नहीं पहुंच पाता है. इसके कारण लोग ऐसा पानी पीने को मजबूर हैं जो पीने लायक नहीं है. स्थानीय लोगों की मांग है कि सरकार पूरे मामले में गंभीरता से उचित कदम उठाए.

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