पुणे : महाराष्ट्र के पुणे जिले के जेजुरी कस्बे में हर साल पौष पूर्णिमा पर गधा बाजार लगता है. पशु व्यापारी यहां बिक्री के लिए देश भर से गधे लाते हैं. महाराष्ट्र के कुलदेवता खंडोबा भगवान को समर्पित जेजुरी कस्बे में पौष पूर्णिमा पर भक्तों का तांता लगा रहता है जो 500 साल पुराने अनोखे गधा बाजार में हिस्सा लेते हैं.
इस साल पारंपरिक बाजार में गुजरात के काठियावाड़ी से लाए गए गधों की सबसे ज्यादा मांग रही और लोगों ने उनकी कीमत भी सबसे ज्यादा लगाई. काठियावाड़ी गधों की कीमत 50,000 से एक लाख रुपये तक रही, जबकि पुणे के स्थानीय गधों की कीमत 25 हजार से 50 हजार रुपए तक रही.
बताया गया है कि इस साल बाजार में गधों की संख्या कम थी. इस वजह से भी गधों को अच्छा दाम मिला.
व्यापारी जानवरों के दांत और उम्र के हिसाब से गधों में अंतर करते हैं और उसके हिसाब से बोली लगाते हैं. दो दांत वाले गधे को 'दुवान' माना जाता है, जबकि चार दांत वाले गधे को 'जवान' कहा जाता है. चार दांत वाले गधे को अच्छा दाम मिलता है.
हालांकि, ज्यादातर व्यापारियों के लिए गधे न केवल व्यापार का प्रतीक हैं बल्कि आस्था से भी जुड़े हैं. यह व्यवसाय भगवान खंडोबा के नाम पर आस्था के आधार पर किया जाता है और इसके लिए कोई लिखित दस्तावेज या समझौते नहीं होते हैं. ज्यादातर लोग सिर्फ भगवान खंडोबा पर विश्वास करते हैं और व्यवसाय में पैसे लगाते हैं. इनमें से ज्यादार गधों का इस्तेमाल ईंट भट्टों से निर्माण सामग्री ले जाने के लिए किया जाता है.
राज्य भर से आते हैं श्रद्धालु
पौष पूर्णिमा पर जेजुरी में पूरे राज्य से श्रद्धालु आते हैं. गधों पर निर्भर इन खानाबदोश जनजातियों के हजारों श्रद्धालु इस पारंपरिक मेले में शामिल हुए. कुल देवता खंडोबा के दर्शन के साथ-साथ श्रद्धालु गधों की खरीद-फरोख्त कर इसका आनंद लिया.
मालेगांव की 'श्री क्षेत्र खंडोबा' यात्रा दक्षिण भारत की सबसे बड़ी तीर्थयात्रा के रूप में जानी जाती है. जेजुरी के बाद मालेगांव में तीर्थयात्रा के दौरान सबसे बड़ा गधा बाजार यहीं लगता है. यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है.
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