मुंबई:मुंबई के घाटकोपर में सोमवार को तेज आंधी के बाद एक बड़ा होर्डिंग गिरने से 14 लोगों की मौत हो गई और 74 लोग घायल हुए हैं. इस घटना के बाद एक बार फिर मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग, बैनर और पोस्टर का मामला उजागर हो गया है. साथ ही आरोप-प्रत्यारोप भी शुरू हो गया है. नगर पालिका ने सारा मामला रेलवे पुलिस पर थोप दिया है. वहीं, रेलवे पुलिस के मौजूदा कमिश्नर ने भी यह कहकर बचने की कोशिश की कि उनके समय में इस अनाधिकृत होर्डिंग की इजाजत नहीं थी. ऐसे में सवाल उठता है कि इन 14 लोगों की मौत का जिम्मेदार कौन है?
होर्डिंग हादसे के बाद बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) पर सवाल उठ रहा है कि आखिर नगर निगम ने इतने बड़े होर्डिंग की अनुमति कैसे दी? नगर पालिका का कहना है कि होर्डिंग रेलवे पुलिस की संपत्ति पर लगा था. इसके अलावा बीएमसी ने इस होर्डिंग के लिए कोई अनुमति नहीं दी थी. नगर निगम की ओर से बताया गया कि इस होर्डिंग की इजाजत रेलवे पुलिस ने ही दी है. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि नगर निगम इन सभी मामलों को रेलवे पुलिस के पास धकेलने की कोशिश कर रहा है. खास बात यह है कि अनाधिकृत होर्डिंग को लेकर नगर पालिका ने सोमवार को 'एगो मीडिया' को नोटिस भेजा था. इस नोटिस में नगर पालिका ने संबंधित कंपनी से 6 करोड़ 13 लाख 84 हजार 464 रुपये का जुर्माना की मांगा है.
बीएमसी को फटकार लगा चुका है हाईकोर्ट
मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग, बैनर और पोस्टर का मामला इससे पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट में जा चुका है. कुछ मामलों में अदालत ने नगर पालिका की बात सुनी है. हालांकि, मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग्स कम नहीं हुए हैं. मुंबई में अनाधिकृत होर्डिंग्स को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर की गई हैं. ऐसी ही एक याचिका पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय और जस्टिस आरिफ डॉक्टर की पीठ ने नगर पालिका को फटकार लगाई. इसी सुनवाई के दौरान कोर्ट ने नगर पालिका को सार्वजनिक स्थानों पर लगे अनाधिकृत बैनर, पोस्टर और बोर्ड को तुरंत हटाने का निर्देश दिया था. इस मामले में नगर पालिका की निष्क्रियता पर चीफ जस्टिस डीके उपाध्याय ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी में कहा था कि उन्हें नगर पालिका में बैठना चाहिए.