नई दिल्ली: हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों (CPS) की नियुक्ति को हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया है. साथ ही साथ इनसे जुड़े एक्ट को भी कोर्ट ने असंवैधानिक करार दिया है. ऐसे में अब सरकार ने छह विधायकों को सीपीएस के पदों से हटा दिया है. अब इसको लेकर राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है. इस विषय पर ईटीवी भारत से बातचीत में हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि, कोर्ट के निर्देश के बाद इन 6 विधायकों की सदस्यता भी रद्द होनी चाहिए.
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि, हिमाचल की सरकार जब से बनी है तब से बगैर सोच समझे ही फैसले लिए जा रही है. उन्होंने कहा कि, पहले टॉयलेट टैक्स लगा दिया गया और जब चर्चा में आए तो उसे वापस लिया गया. उसके बाद मुख्यमंत्री के लिए आए समोसे गायब हो गए. इसे सरकार के विरुद्ध करवाई बताते हुए इस पर सीआईडी की जांच बिठा दी गई. उन्होंने कहा कि, इसको लेकर सुक्खू सरकार ने जग हंसाई करवाई है.
पूर्व सीएम ने कहा कि, हिमाचल में सीपीएस की नियुक्ति को हाई कोर्ट की तरफ से रद्द किए जाने के बादस अब इन 6 विधायकों की सदस्यता भी रद्द होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि, क्योंकि ये मामला ऑफिस ऑफ प्रॉफिट के अंदर आता है. इस सवाल पर कि, राज्य की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की है जिस पर भाजपा ने भी कैविएट दाखिल किया है, जयराम ठाकुर ने कहा कि, इस पर सुप्रीम कोर्ट पहले ही टिप्पणी कर चुका है और उन्हें उम्मीद है कि कोर्ट भी हाई कोर्ट के फैसले को ही आधार बनाएगा.
उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि, हिमाचल में जब से कांग्रेस की सरकार बनी है तब से कुछ ऐसे फैसले लिए जा रहे हैं जिससे राज्य की जग हंसाई हो रही है. हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने आगे आरोप लगाते हुए कहा कि, इस सरकार में जो अर्थव्यवस्था हुई है उसका खामियाजा कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि, लगातार राज्य में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है. पूर्व सीएम ने कहा कि, सरकार कभी टॉयलेट टैक्स लगा देती है और बाद में उसे वापस लेना पड़ता है. कभी समोसा पर जांच बिठा देती है. उन्होंने कहा कि, हिमाचल में सुक्खू सरकार एक के एक बाद एक ऐसे फैसले लिए जा रही है.