नई दिल्ली: नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (SCN-Isak Muivah) ने कहा है कि मौजूदा वार्ता विफल होने की स्थिति में संगठन को आशंका है कि नागालैंड (Nagaland) में मानवाधिकार को लेकर स्थिति खराब हो सकती है. संगठन ने मौजूदा वार्ता के विफल होने की स्थिति में हमें आशंका है कि नागालैंड में मानवाधिकार को लेकर स्थिति गड़बड़ा सकती है
एनएससीएन-आईएम ने भारत भर के चर्चों को भेजे गए एक पत्र में कहा, नागा लोग आश्वस्त हैं कि लंबे समय तक चली केंद्र-नागा राजनीतिक वार्ता सम्मानजनक रूप से संपन्न होनी चाहिए. साथ ही कहा गया है कि दशकों के संघर्ष के बाद, भारत सरकार (GOI) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालिम (NSCN) ने अंततः 1997 में राजनीतिक वार्ता फिर से शुरू की थी जो 3 अगस्त 2015 को ऐतिहासिक 'फ्रेमवर्क समझौते' पर हस्ताक्षर के रूप में खत्म हुई.
इन सभी प्रतिबद्धताओं और समझौतों के बावजूद, भारत सरकार नागा गुटों, अवसरवादियों और नागाओं के प्रति शत्रुतापूर्ण पड़ोसी लोगों की एजेंसियों के माध्यम से स्थितियां पैदा करके फ्रेमवर्क समझौते को पीछे हटाने और अस्वीकार करने की कोशिश कर रही है. संगठन का कहना है कि भारत सरकार समय के साथ खेल रही है. लेकिन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालिम के बैनर तले नागा लोग 3 अगस्त 2015 को हस्ताक्षरित ऐतिहासिक फ्रेमवर्क समझौते पर कायम हैं. इसमें आरोप लगाया गया कि फ्रेमवर्क समझौते के साथ विश्वासघात क्षेत्र में शांति और प्रगति की हत्या के समान होगा.
गौरतलब है कि नागा संगठन के साथ दशकों से चली आ रही बातचीत तब रुकी हुई थी, जब सरकार ने नागाओं के लिए अलग झंडा और अलग संविधान देने से इनकार कर दिया था. एनएससीएन-आईएम के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि हम 3 अगस्त 2015 को हस्ताक्षरित फ्रेमवर्क समझौते का स्वागत कर रहे हैं, जिसमें एक अलग ध्वज और एक अलग संविधान को स्वीकार किया गया है और ये हमारी दो मुख्य मांगें हैं. नागाओं का मानना है कि फ्रेमवर्क समझौता निश्चित रूप से भूमि में स्थायी शांति और लोगों के बीच स्थायी संबंध लाएगा. एनएससीएन-आईएम पदाधिकारी ने कहा, यह भारत की सुरक्षा और नागाओं के भविष्य की भी गारंटी देगा.
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