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प.बंगाल : संदेशखाली में क्यों मचा है बवाल, समझें पूरा मामला

Sandeshkhali controversy : पिछले कई दिनों से पश्चिम बंगाल का संदेशखाली सुर्खियों में बना हुआ है. तृणमूल कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहीं हैं. भाजपा ने टीएमसी के एक स्थानीय नेता पर महिलाओं के यौन शोषण का आरोप लगाया है. पार्टी का यह भी आरोप है कि टीएमसी के स्थानीय नेता शाजहान शेख ने आदिवासियों की जमीन पर कब्जा जमा रखा है. हालांंकि, टीएमसी ने इन आरोपों का खंडन किया है. खुद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का कहना है कि संदेशखाली में भाजपा और आरएसएस ने बाहरी लोगों को बुलाकर प्रदर्शन किया है. पूरा मामला जानने के लिए पढ़ें पूरी स्टोरी.

What is happening in Sandeshkhali
प्रतिकात्मक तस्वीर

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Feb 16, 2024, 1:51 PM IST

कोलकाता :पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का एक गांव संदेशखाली लगभग एक महीने से राजनीतिक तूफान के केंद्र में है. एक स्थानीय टीएमसी नेता के खिलाफ कई महिलाओं ने यौन शोषण के आरोप लगाये हैं. जिसके बाद से वहां अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन जारी है.

मामला कैसे और कब शुरू हुआ :घटना पांच जनवरी की है. जब करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले में शहर से लगभग 74 किमी दूर गांव संदेशखाली में टीएमसी नेता शाजहान शेख के आवास पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छापा मारा. इलाके में शाजहान के लोगों ने न केवल ईडी अधिकारियों को उसके घर में प्रवेश करने से रोका, बल्कि केंद्रीय जांच एजेंसी के लोगों के साथ मारपीट भी की. अधिकारियों ने मौके से भागकर अपनी जान बचायी. इसके बाद से शाजहान शेख भी फरार घोषित है.

कौन है शाजहान शेख : जिले के बशीरहाट उपमंडल में स्थित संदेशखाली में शाजहान की साख एक ताकतवर नेता के रूप में है. वह जिला परिषद का सदस्य भी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि इलाके में अधिकतर चीजों पर वैध या अवैध रूप से उनका नियंत्रण है. समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी की घटना के बाद, बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं खुलकर सामने आईं. महिलाओं ने आरोप लगाया कि शाजहान और उसके आदमियों ने जबरन उनकी जमीन हड़प ली है. वे लोग जबरन हड़पी गई जमीनों पर झींगा पालन करते हैं. इसके अलावा टीएमसी नेता और उसके लोग कई सालों से स्थानीय महिलाओं को यौन प्रताड़ना का शिकार बना रहे हैं.

क्या हैं मुख्य आरोप -महिलाओं ने जो आरोप लगाये वह किसी के भी मन में सिहरन पैदा कर देते हैं. मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, कई स्थानीय महिलाओं में से एक ने आरोप लगाया कि पार्टी (टीएमसी) के लोग हर घर में जबरन प्रवेश कर के खूबसूरत महिला, मुख्य रूप से नवविहिताओं यह युवतियों की पहचान करते हैं. फिर उन्हें अगवा करके पार्टी कार्यालय ले जाते हैं. महिलाओं ने आरोप लगाया कि वे रात भर उस महिला को पार्टी दफ्तर में ही बंधक बना कर रखते हैं. महिलाओं ने कहा कि शाजहान की अनुपस्थिति ने उन्हें कई वर्षों से अपने ऊपर हो रहे अत्याचार के बारे में बोलने की हिम्मत दी है.

सह आरोपी कौन लोग हैं :शाजहान पर यह भी आरोप लगाया कि उनके करीबी सहयोगी और अन्य टीएमसी नेता उत्तम सरदार और शिबाप्रसाद हाजरा भी इन सब अपराधों में शामिल हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि यहां पति अपनी पत्नी की सुरक्षा नहीं कर सकता है यदि पार्टी के कार्यकर्ताओं की नजर उसपर पड़ गई. हम यहां रहने में असमर्थ हैं. हमेशा प्रताड़ित होने या यौन उत्पीड़न का डर रहता है. हम सुरक्षा चाहते हैं. हमारे अधिकांश पुरुष गांव छोड़ चुके हैं और दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं.

महिलाओं का विरोध प्रदर्शन हुआ तेज :महिलाओं ने बांस के डंडों और झाड़ू के साथ विरोध प्रदर्शन किया और शाजहान, शिबाप्रसाद हाजरा की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए स्थानीय पुलिस स्टेशनों का घेराव किया. आरोपों के कारण विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गए. पिछले शुक्रवार को तनाव तब बढ़ गया जब प्रदर्शनकारी महिलाओं ने हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पॉल्ट्री फार्मों को जला दिया. इन पॉल्ट्री फार्मों के बारे में दावा किया गया था कि वे स्थानीय ग्रामीणों से जबरन छीनी गई जमीनों पर बने थे. इस विरोध प्रदर्शन को देखते हुए पश्चिम बंगाल में विपक्षी दल सक्रीय हो गये. उन्होंने शाजहान और उसके लोगों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग तेज कर दी.

संदेशखाली बना राजनीति का नया रणक्षेत्र :भाजपा, सीपीआईएम और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ टीएमसी प्रशासन शाजहान और उसके लोगों को संरक्षण दे रहा है जबकि कुछ टीएमसी नेताओं ने दावा किया कि शाजहान को विपक्षी दलों की ओर से गलत तरीके से फंसाया गया है.

केरल यात्रा बीच में छोड़ राज्यपाल ने किया दौरा :महिलाओं के विरोध प्रदर्शन के बीच इस सप्ताह की शुरुआत में बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस अपनी केरल यात्रा बीच में छोड़ कर पश्चिम बंगाल लौट आये. महिलाओं से बात करने के बाद बोस ने इसे 'भयानक और चौंकाने वाला बताया. बोस ने अपनी यात्रा के बाद कहा कि मैंने संदेशखाली में जो देखा वह भयानक, चौंकाने वाला और होश उड़ा देने वाला है. मैंने कुछ ऐसा देखा जो मुझे कभी नहीं देखना चाहिए था. मैंने कई चीजें सुनीं जो मुझे कभी नहीं सुननी चाहिए थीं. यह एक नागरिक समाज के लिए शर्म की बात है.

राज्यपाल ने गृहमंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट:राज्यपाल ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भी सौंपी है, जिसमें संदेशखाली में 'उपद्रवी तत्वों' के साथ मिलकर काम करने के लिए कानून लागू करने वालों को दोषी ठहराया गया है. बोस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि स्थानीय लोग अपने आरोपों की जांच के लिए एक विशेष कार्य बल या विशेष जांच दल का गठन चाहते हैं.

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा -इन घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो लोग जिम्मेदार थे उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया गया है. उन्होंने कहा था कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं. बनर्जी का बयान उस दिन आया जब राज्यपाल संदेशखाली गए और वहां कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की.

पुलिस कार्रवाई और आयोगों का दौरा :पुलिस ने आरोपों पर संदेशखाली के पूर्व सीपीआई (एम) विधायक निरापद सरदार और एक स्थानीय भाजपा नेता विकास सिंह को गिरफ्तार किया. बरिशात पुलिस ने सोमवार को कहा कि उन्हें हिंसा प्रभावित संदेशखाली के लोगों से केवल चार शिकायतें मिली हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी बलात्कार या यौन उत्पीड़न की किसी घटना का उल्लेख नहीं किया है.

पुलिस की भाजपा नेता के साथ झड़प: पुलिस ने संदेशखाली में निषेधाज्ञा लागू कर दी थी और मंगलवार को संदेशखाली जाने की कोशिश करने वाले विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी और अन्य भाजपा नेताओं को शहर के साइंस सिटी में रोक दिया गया. बुधवार को, उनकी पार्टी के सहयोगी और पश्चिम बंगाल भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार पुलिस के साथ झड़प में घायल हो गए. मजूमदार का शहर स्थित एक अस्पताल में इलाज चल रहा है.

राज्य महिला आयोग ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट:राज्य महिला आयोग की एक टीम ने सोमवार को संदेशखाली का दौरा किया, स्थानीय महिलाओं से बात की और मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) को एक रिपोर्ट सौंपी. राज्य प्रशासन ने संदेशखाली की घटनाओं की जांच के लिए वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नेतृत्व में 10 सदस्यीय टीम का गठन किया है.

केंद्र की संस्थाओं पर पुलिस की पाबंदी:संदेशखाली जाने की कोशिश कर रहे राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधियों को भी पुलिस ने रोका. पश्चिम बंगाल पुलिस ने निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए कहा कि उनके दौरे से क्षेत्र में कानून और व्यवस्था की समस्या पैदा हो सकती है.

राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के एक प्रतिनिधिमंडल ने गुरुवार को संकटग्रस्त गांव का दौरा किया. पैनल के अध्यक्ष अरुण हलदर के नेतृत्व में टीम ने उस क्षेत्र के निवासियों से बात की, जहां मुख्य रूप से एससी और अन्य पिछड़े समुदायों के लोग रहते हैं. इस बीच, पुलिस ने राजनीतिक हस्तियों को वहां जाने से रोकने के लिए संदेशखाली पुलिस के संपर्क मार्गों पर बैरिकेड्स लगा दिए हैं.

विरोध और आरोपों के बीच कलकत्ता HC ने लिया मामले का स्वत: संज्ञान :इस सप्ताह की शुरुआत में, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संकटग्रस्त संदेशखाली में धारा 144 लगाने का आदेश रद्द कर दिया. कोर्ट ने कहा कि राज्य प्रशासन आमतौर पर विशिष्ट रूप से अशांत क्षेत्र में निषेधाज्ञा लागू करता है. इसमें यह भी कहा गया कि राज्य को अधिक सुरक्षा बल तैनात करना चाहिए. इसके साथ ही ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कड़ी निगरानी होनी चाहिए. कलकत्ता उच्च न्यायालय के एक अन्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्व सिन्हा रे ने मंगलवार को स्थानीय महिलाओं के यौन उत्पीड़न और आदिवासियों की जमीन जबरन छीनने के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया. उन्होंने राज्य को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला :उच्चतम न्यायालय ने पश्चिम बंगाल के संदेशखाली गांव में हुई हिंसा मामले की अदालत की निगरानी में सीबीआई या एसआईटी से जांच कराने के अनुरोध संबंधी जनहित याचिका को सूचीबद्ध करने के लिए विचार करने पर सहमति जताई है. जनहित याचिका को प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया गया था. प्रधान न्यायाधीश ने पूछा कि ‘क्या आपने (तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए) कोई ईमेल भेजा है ? जनहित याचिका दायर करने वाले वकील अलख आलोक श्रीवास्तव ने जब हां में जवाब दिया तो प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि मैं दोपहर में इस पर विचार करूंगा. श्रीवास्तव ने व्यक्तिगत रूप से यह याचिका दायर की है, जिसमें संदेशखालि हिंसा पीड़ितों के लिए मुआवजे और कर्तव्य में कथित लापरवाही बरते के लिए पश्चिम बंगाल पुलिस के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई का अनुरोध किया गया है.

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