नई दिल्ली: पढ़ने से बड़ा कोई आनंद नहीं और ज्ञान से बड़ी कोई ताकत नहीं. इसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए प्रत्येक वर्ष आयोजित होने वाला नई दिल्ली विश्व पुस्तक मेला 2024 का आज दिल्ली में शुभारंभ हो गया. दिल्ली प्रगति मैदान में यह पुस्तक मेला 18 फरवरी तक चलेगा. शनिवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसका उद्घाटन किया. विश्व पुस्तक मेला वर्ष 1972 में शुरू हुआ था. इस बार सबसे बड़े स्तर पर आयोजन हो रहा है.
केंद्रीय शिक्षा एवं कौशल विकास मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि,'मुझे बहुत खुशी हो रही है कि विश्व पुस्तक मेले में इतना भव्य आयोजन हो रहा है. भारत की यही खासियत है कि यहां पर 22 भाषाओं में साहित्य है. पढ़ने वालों की संख्या असंख्य हैं." उन्होंने राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ज़िक्र किया. उन्होंने कहा कि जिस तरह से मातृभाषा को बढ़ावा मिल रहा है इसे नया आयाम स्थापित होगा. शिक्षा मंत्री ने अपने भाषण में नालंदा, तक्षशिला जैसे प्राचीन विश्वविद्यालय का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि इस सदी में तकनीक की मदद से हम नए आयाम को छू सकते हैं. राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय के शुरू होने पर उन्हें सबको बधाई देते हुए कहा कि अब इससे हम अपने ज्ञान के खजाने को बढ़ा सकते हैं.
नेशनल बुक ट्रस्ट के चेयरमैन मिलिंद मराठे ने कहा कि इस वर्ष "बहुभाषी भारत, एक जीवंत परंपरा" थीम पर आधरित विश्व पुस्तक प्रगति मैदान के हाल संख्या 1 से 5 में शुरू हुआ है. विश्व पुस्तक मेले में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत मातृभाषा में शिक्षा ग्रहण के अभियान को आगे ले जाते हुए पाठकों के लिए यहां क्षेत्रीय भाषाओं की पुस्तक भी उपलब्ध होगी. नेशनल बुक ट्रस्ट के डायरेक्टर युवराज मलिक ने बताया कि इस बार विश्व पुस्तक मेले में विशेष आकर्षण का केंद्र जम्मू कश्मीर एवं लेह लद्दाख है. उन्होंने बताया है कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख की कला, संस्कृति, साहित्य को इस विश्व पुस्तक में मेले में करीब से जानने का अवसर मिलेगा.