भुवनेश्वर: मादक पदार्थ तस्करी के एक मामले में जमानत पर बाहर आने के तीन दिन बाद एक महिला, उसके पति और उसके सहयोगी ने बुधवार को यहां व्यस्त रसूलगढ़ ओवरब्रिज पर दिनदहाड़े एक पुलिस स्वयंसेवक की कथित तौर पर सिर कलम कर हत्या कर दी. उन्हें संदेह था कि वह उनकी गिरफ्तारी के लिए जिम्मेदार है. आरोपियों की पहचान लिपिका नायक, उसके पति लक्ष्मीधर और उनके सहयोगी रॉकी नायक के रूप में हुई है, जिन्हें अपराध के कुछ ही घंटों बाद नयागढ़ जिले से गिरफ्तार कर लिया गया. इसी मामले में एक महिला समेत दो लोगों की गिरफ्तारी के साथ ही अब तक कुल पांच लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
पुलिस सूत्रों ने बताया कि मृतक सहदेव नायक (36) यहां केदारपल्ली झुग्गी बस्ती में रहने वाले एक 'पुलिस मित्र' (स्वयंसेवक) थे और नशा विरोधी अभियान चलाते थे. पुलिस आयुक्त एस देव दत्ता सिंह ने बताया कि हाल ही में आबकारी विभाग ने लिपिका को गिरफ्तार किया था. उसे संदेह था कि सहदेव ने आबकारी विभाग के अधिकारियों को उसे गिरफ्तार करने में मदद की थी. उसने अन्य दो आरोपियों के साथ मिलकर सहदेव की हत्या की साजिश रची थी.
डीसीपी पिनाक मिश्रा ने कहा कि हमने अपराध में शामिल सभी आरोपियों को अपराध के कुछ घंटों के भीतर गिरफ्तार कर लिया. हत्या का मकसद पुरानी दुश्मनी है. यह वीभत्स घटना सुबह करीब साढ़े सात बजे हुई, जब सहदेव, जो भुवनेश्वर के सफाई कर्मचारी संघ के अध्यक्ष भी थे, अपनी नौ वर्षीय बेटी को स्कूल छोड़ने के बाद एनएच-16 पर वाणी विहार से रसूलगढ़ की ओर अपने दोपहिया वाहन से जा रहे थे.
हेलमेट पहने हुए दो बाइकों पर सवार होकर आए आरोपियों ने नायक को रसूलगढ़ आरओबी पर रोक लिया और सबके सामने उन पर हमला कर दिया. जब नायक अपनी बाइक से गिरकर भागने का प्रयास कर रहे थे, तो हमलावरों ने उनका पीछा किया और तलवार से उनका सिर काट दिया. इस क्रूर हमले से यात्रियों और दर्शकों में दहशत फैल गई. बताया जाता है कि सुबह की सैर पर निकले पचास वर्षीय एक व्यक्ति ने सड़क पर सिर कटा शव और खून देखकर अपना होश खो दिया.
नायक की पत्नी सुनीता ने आरोप लगाया कि वह इलाके में अवैध गतिविधियों, विशेषकर ब्राउन शुगर की तस्करी का विरोध करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पति हमारे इलाके में ड्रग तस्करों और अन्य अपराधियों को पकड़ने में पुलिस की मदद कर रहे थे. उनकी जान को खतरा था. उन्होंने मेरे पति को ड्रग तस्करी के झूठे मामले में फंसाने का भी असफल प्रयास किया. इस हत्या ने कई निवासियों को परेशान कर दिया, विशेष रूप से प्रवासी भारतीय दिवस के लिए तैनात 90 पुलिस प्लाटून और 11 सीएपीएफ कंपनियों की उपस्थिति और बढ़ाई गई गश्त को देखते हुए.