अमरावती: ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों की परवरिश एक चुनौती है, जिसे कई माता-पिता समझ सकते हैं, लेकिन बहुत कम लोग इसके साथ आने वाली कठिनाइयों से निपटने के लिए तैयार होते हैं. ऑटिज्म से पीड़ित बेटे की मां डॉ उप्पलुरी अनुराधा के लिए यह चुनौती बदलाव लाने के लिए उनकी प्रेरणा बन गई.
अपने मेडिकल करियर किनारे करते हुए डॉ अनुराधा ने ऑटिज्म को लेकर जागरूकता बढ़ाने और इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रही अन्य माताओं को सहायता प्रदान करने के मिशन की शुरुआत की. उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए, उन्हें हाल ही में 2025 के लिए प्रतिष्ठित ब्रिटिश सिटीजन अवार्ड से सम्मानित किया गया.
ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहती हैं अनुराधा
आंध्र प्रदेश के नुजीवीदु की रहने वाली अनुराधा अब ब्रिटेन के बर्मिंघम में रहती हैं. पेशे से वह एक डेंटिस्ट हैं, लेकिन बेटे के जन्म के बाद उनकी जिंदगी में उस समय एक नाटकीय मोड़ आया, जब उनके बेटे का जन्म हुआ. हालांकि, बेटा पैदा होनी खुशी तब फीकी पड़ गई जब उन्हें पता चला कि उनके बेटे को ऑटिज्म है. शुरू में वह अपने बेटे के भविष्य को लेकर चिंता में डूबी हुई थीं. हालांकि, निराशा में डूबने के बजाय, उन्होंने आगे कदम उठाने का फैसला किया.
अपने बेटे की कंडीशन को अपने ऊपर हावी न होने देने के दृढ़ निश्चय के साथ अनुराधा ने डेंटिस्ट के तौर में अपना करियर छोड़ने और अपने बेटे के लिए खुद को समर्पित करने का कठिन निर्णय लिया. इस दौरान उन्होंने ऑटिज्म, इसके लक्षणों, ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के सामने आने वाली चुनौतियों और उन्हें अपने परिवारों से मिलने वाले समर्थन के बारे में बहुमूल्य जानकारी हासिल की.उन्होंने महसूस किया कि उनके जैसी कई माताएं अकेले संघर्ष कर रही हैं, उन्हें नहीं पता कि अपने बच्चों को कैसे सपोर्ट किया जाए.
जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए
अन्य माताओं की मदद करने की अनुराधा की इच्छा ने उन्हे जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने और मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने साथी माता-पिता के साथ अपने अनुभव साझा किए, उनकी चिंता और अनिश्चितता को कम करने के लिए मार्गदर्शन और आश्वासन दिया. इसके अलावा, अनुराधा ऑटिज्म से पीड़ित लोगों की सहायता के धन जुटाने में भी जुट गईं.