जम्मू :दिल्ली को कश्मीर से जोड़ने वाली लंबे समय से प्रतीक्षित सीधी ट्रेन सेवा जनवरी 2025 में शुरू होने की उम्मीद है. केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत ने मंगलवार को देश का पहला केबल आधारित रियासी रेल ब्रिज की समीक्षा की.
इस दौरान केंद्रीय मंत्री ने संवाददाताओं को बताया कि उधमपुर-श्रीनगर-बारामुल्ला रेल लिंक (USBRL) परियोजना में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है. इसमें अधिकांश कार्य पूरे हो चुके हैं. बांकी काम दिसंबर 2024 तक पूरे होने की उम्मीद है.
रवनीत सिंह बिट्टू ने कहा कि कटरा-कश्मीर रेलवे ट्रैक पर परीक्षण दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है. इससे कश्मीर के राष्ट्रीय रेलवे नेटवर्क में पूर्ण एकीकरण का मार्ग प्रशस्त होगा. मंत्री ने कहा, 'हमारे राजमार्ग और रेलवे वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए महत्वपूर्ण हैं.'
उन्होंने कहा कि यह परियोजना क्षेत्र के लिए एक आर्थिक परिवर्तनकारी परियोजना है. सुरक्षा हमारी प्राथमिकता बनी हुई है. दिसंबर तक पूरा करने के लिए सभी पहलुओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया जा रहा है.
रवनीत बिट्टू ने जम्मू के रियासी जिले में अंजी नदी पर बने भारत के पहले केबल-स्टेड रेल पुल की समीक्षा की. यह वास्तुशिल्प चमत्कार कश्मीर को देश के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली एक महत्वपूर्ण कड़ी है. इसे आधुनिक इंजीनियरिंग उत्कृष्टता के प्रतीक के रूप में मना जाता है.
बिट्टू ने इस रणनीतिक रेल लिंक के निर्माण में शामिल इंजीनियरों और श्रमिकों से बातचीत की. बाद में उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपना अनुभव साझा करते हुए कहा, 'जम्मू-कश्मीर के रियासी में प्रतिष्ठित अंजी खड्ड पुल पर जाने का अविश्वसनीय अवसर मिला.
ये भारत की इंजीनियरिंग प्रतिभा और दृढ़ संकल्प का प्रमाण है. अंजी नदी पर लटका यह वास्तुशिल्प कृति, भारतीय रेलवे नेटवर्क पर पहला केबल-स्टेड ब्रिज है जो न केवल दो पहाड़ों को जोड़ता है बल्कि सपनों को भी हकीकत से जोड़ता है.'
मंत्री ने मुख्य प्रशासनिक अधिकारी संदीप गुप्ता के प्रयासों की सराहना की. उनके नेतृत्व में परियोजना की चुनौतियों पर काबू का सामना कर महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की गई. उन्होंने निर्माण में अपनी भूमिका के लिए इरकॉन इंटरनेशनल लिमिटेड और तकनीकी विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड (केआरसीएल) की भी सराहना की.
कार्यबल के समर्पण को उजागर करते हुए, मंत्री ने कहा, 'इस यात्रा को वास्तव में विशेष बनाने वाली बात इस परियोजना के पीछे मेहनती और समर्पित कार्यबल से मिलना था. उनका अथक प्रयास, सटीकता और जुनून इस इंजीनियरिंग चमत्कार की असली नींव है.