5 मंत्रियों के साथ आतिशी आज लेंगी दिल्ली के सीएम पद की शपथ - DELHI NEW CM ATISHI
Atishi Delhi New CM: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आतिशी को दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त किया है. इसके साथ ही, अरविंद केजरीवाल का इस्तीफा कर लिया है. आज राजभवन में शपथ ग्रहण समारोह होगा, जिसमें आतिशी मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी. उनके साथ, 5 विधायक मंत्री पद की शपथ लेंगे.
नई दिल्ली:दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री के तौर पर आतिशी आज शनिवार को शपथ लेंगी. इस दौरान उनके साथ पांच मंत्री भी शपथ लेंगे. यह शपथ ग्रहण समारोह शाम 4:30 बजे होगा. आम आदमी पार्टी से मिली जानकारी के अनुसार, शपथ ग्रहण समारोह उपराज्यपाल सचिवालय में होगा. दिल्ली में मुख्यमंत्री के अलावा मंत्री के छह पद हैं. लेकिन अभी दिल्ली सरकार की कैबिनेट में पांच विधायक ही मंत्री पद की शपथ लेंगे.
आतिशी के अलावा ये विधायक लेंगे मंत्री पद की शपथ (ETV Bharat)
अरविंद केजरीवाल के साथ मंत्री पद की जिम्मेदारी संभाल रहे मंत्रियों के अलावा, सुल्तानपुर माजरा से विधायक मुकेश अहलावत को नए मंत्रिमंडल में शामिल किया गया है. मुकेश अहलावत अनुसूचित जाति से हैं. दिल्ली सरकार की कैबिनेट में शुरू से ही एससी कोटे से आने वाले विधायक एक मंत्री रहे हैं. वर्ष 2020 में जब अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में तीसरी बार सरकार बनी थी, तब सीमापुरी से विधायक राजेंद्र पाल गौतम को कैबिनेट मंत्री बनाया गया था. इसके बाद पटेल नगर से विधायक राजकुमार आनंद को कैबिनेट में शामिल किया गया था.
आतिशी दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री (ETV Bharat)
हालांकि, राजकुमार आनंद ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मंत्री पद से इस्तीफा देकर पार्टी भी छोड़ दी थी. तब से यह मंत्री पद खाली था. इसी कोटे के तहत अब मुकेश अहलावत को कैबिनेट मंत्री बनाया जाएगा. बता दें कि मंगलवार को अरविंद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से अपना व अपने मंत्रिमंडल का इस्तीफा उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंप दिया था. केजरीवाल द्वारा सौंप गए इस्तीफे को उपराज्यपाल ने बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेजा था.
देर शाम जारी हुआ नोटिफिकेशन (The Gazette of India)
दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री बनेंगे यह विधायक
गोपाल राय
कैलाश गहलोत
सौरभ भारद्वाज
इमरान हुसैन
मुकेश अहलावत
ये विधायक लेंगे मंत्री पद की शपथ (ETV Bharat)
जानिए, आतिशी के बारे में...
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से ली शिक्षा:आतिशी कोअरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया का विश्वास प्राप्त माना जाता है. इसके चलते ही उनका केजरीवाल का उत्तराधिकारी बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ. पिता का नाम विजय सिंह और माता का नाम तृप्ता वाही है. दोनों दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर रह चुके हैं. आतिशी ने दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक की डिग्री प्राप्त कर अपने बैच में टॉप किया था. इतना ही नहीं, वह ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय से शिक्षा और इतिहास में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त कर चुकी हैं.
आतिशी का राजनीतिक सफर: आतिशी वर्ष 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ीं और पार्टी के लिए नीति निर्माण में शामिल हुईं. उन्होंने दिल्ली में शिक्षा सुधारों का नेतृत्व करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. साल 2015 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने उन्हें उपमुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया का सलाहकार नियुक्त किया था. हालांकि, 2018 में उन्हें पद से हटा दिया गया, जिससे वे प्रमुखता में आ गईं. केंद्र द्वारा आठ अन्य पार्टी सदस्यों के साथ आतिशी की नियुक्ति को रद्द करने से आप और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के बीच तनातनी हो गई.
आतिशी का बढ़ता सियासी कद: आतिशी को 2019 के लोकसभा चुनाव में आप ने पूर्वी दिल्ली सीट से मैदान में उतारा था. कांग्रेस नेता अरविंदर सिंह लवली और क्रिकेटर से नेता बने गौतम गंभीर के खिलाफ, जो भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. आतिशी को एक मजबूत दावेदार के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन वे गौतम गंभीर से चुनाव हार गईं. उसके बाद आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप ने उन्हें दिल्ली के कालकाजी निर्वाचन क्षेत्र से फिर से अपना उम्मीदवार बनाया, वर्तमान में वह कालकाजी से विधायक हैं और दिल्ली सरकार की कैबिनेट में सबसे प्रभावी मंत्री हैं. पार्टी में आतिशी के बढ़ते सियासी कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2020 के चुनाव के बाद उन्हें आम आदमी पार्टी की गोवा इकाई का प्रभारी बनाया गया और अब मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की ओर से उन्हें अपने सबसे भरोसेमंद सिपहसालार की जगह दी है.
स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बेहतर करने में भूमिका: आप में शामिल होने से पहले आतिशी ने कुछ समय आंध्र प्रदेश के ऋषि वैली स्कूल में इतिहास और अंग्रेजी पढ़ाती थी. उनको दिल्ली के शैक्षणिक संस्थानों के कायाकल्प में अहम भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने दिल्ली के सरकारी स्कूलों के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने, शिक्षा के अधिकार अधिनियम के तहत स्कूल प्रबंधन समितियों का गठन करने, निजी स्कूलों को मनमाने ढंग से फीस बढ़ाने से रोकने के लिए नियमों को मजबूत करने और 'हैप्पीनेस' पाठ्यक्रम शुरू करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है.