नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा चुनाव अपने पूरे शबाब पर है और सभी पार्टियों ने चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है. यदि देखा जाए तो दिल्ली चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने सबसे पहले प्रचार अभियान की शुरुआत कर दी थी. भाजपा के लिए ये बात कही भी जाती रही है कि पार्टी हमेशा से चुनावी मोड में ही रहती है. यही वजह है कि अब इस धुआंधार प्रचार में पार्टी अपने फायरब्रांड नेताओं को भी उतार रही है, जिससे इसकी दशा-दिशा बदलती नजर आ रही.
दिल्ली विधानसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन रैलियां करेंगे, वहीं उतर प्रदेश से मुख्यमंत्री और पार्टी के फायरब्रांड नेता योगी आदित्यनाथ भी गुरुवार से चुनावी मैदान में उतर रहे हैं. सीएम योगी के महाराष्ट्र के बाद एक बार फिर दिल्ली में हिंदुत्व के मुद्दे पर धुआंधार प्रचार करने की उम्मीद है.
ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट. (ETV Bharat) अभी वैसे भी दिल्ली के चुनाव में भगवान श्री राम, रामायण और रावण की एंट्री हो चुकी है, जिससे देश की राजधानी में चुनाव अभियान में भी ध्रुवीकरण की कोशिश होती दिख रही. भाजपा तो पहले से ही हिंदुत्व की बात करती रही है और अब धीरे-धीरे दूसरी पार्टियां भी हिंदुत्व को अपने प्रचार में शामिल कर रही हैं.
सीएम योगी आदित्यनाथ का चुनाव प्रचार शेड्यूल (Social Media) सीएम योगी की दिल्ली में 14 चुनावी जनसभाएं
यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिल्ली में तकरीबन 14 चुनावी जनसभाएं करेंगे. इनमें से कुछ ऐसी भी सीट हैं जिनमें मुस्लिम आबादी अधिक है जैसे मुस्तफाबाद. योगी आदित्यनाथ 23 जनवरी को तीन जनसभाएं करेंगे. 28 जनवरी और 30 जनवरी को चार-चार सभाएं और इसके अलावा 1 फरवरी को तीन चुनावी रैली करेंगे. जानकारी के मुताबिक पूर्वी दिल्ली और उत्तर-पूर्वी दिल्ली में योगी आदित्यनाथ की जनसभाएं होंगी.
सीएम योगी आदित्यनाथ का चुनाव प्रचार शेड्यूल (Social Media) पीएम मोदी की तीन रैली प्रस्तावित
इसी तरह प्रधानंत्री नरेंद्र मोदी की भी दिल्ली में तीन चुनावी रैली प्रस्तावित है. वह 29 जनवरी, 31 जनवरी और दो फरवरी को दिल्ली में रैलियां करेंगे.
- 29 जनवरी को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के पुस्ता इलाके में पीएम की रैली
- 31 जनवरी को द्वारका में पीएम मोदी की दूसरी रैली
- दो फरवरी को दक्षिणी दिल्ली में होगी तीसरी रैली
जिस तरह भाजपा अपने प्रचार अभियान में तमाम बड़े नेताओं को उतार रही है, उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली की लड़ाई किसी भी पार्टी के लिए इतनी आसान नहीं है और सभी पार्टियां एड़ी-चोटी एक करके हर हाल में चुनाव जीतने के लिए दमखम से मैदान में उतर रही हैं.
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