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ज्ञानवापी मामला: शैलेंद्र पाठक को पक्षकार बनाए जाने पर फैसला सुरक्षित, 18 मार्च को अगली सुनवाई - gyanvapi latest case

ज्ञानवापी में स्थित स्वंभू ज्योर्तिलिंग मामले में व्यास नाती को पक्षकार बनाने को लेकर कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है. इस मामले में अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 11:46 AM IST

Updated : Mar 12, 2024, 7:02 PM IST

वाराणसीःज्ञानवापी के 1991 के प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग मामले में वादी रहे सोमनाथ व्यास के नाती को पक्षकार बनाने के मामले में 18 मार्च की अगली सुनवाई तय की गई है. व्यास तहखाने में पूजा का अधिकार पाने के बाद शैलेंद्र पाठक ने खुद को मूल वाद में पक्षकार बनाए जाने की मांग की है. कोर्ट ने दोपहर बाद दोनों पक्षों को तलब किया था. सिविल जज सीनियर डिवीजन (एफटीसी) प्रशांत सिंह ने सुनवाई की. ज्ञानवापी के संपूर्ण परिसर का सर्वे करने के मामले को लेकर भी बहस हुई.

ज्ञानवापी प्रकरण से जुड़े केस में मंगलवार को बहस प्रार्थना पत्र संख्या-432 पर 1991 के वाद में संपूर्ण सर्वे करने की अर्जी पर सुनवाई हुई. वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की अपील पर अदालत ने शैलेंद्र पाठक को पक्षकार बनाए जाने के मामले के आदेश को सुरक्षित रख लिया था. विजय शंकर रस्तोगी ने बीती 7 नवंबर को जिला जज की अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था. इस पर शैलेंद्र कुमार पाठक की ओर से आपत्ति दाखिल की गई है. ज्ञानवापी के संपूर्ण परिसर का सर्वे करने के मामले में वादी ने कहा आदि विश्वेश्वर की आराजी में रकबा नंबर- 9131 व 32 में स्थिति जानने को भी सर्वे हो जाना चाहिए.


ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्सों का सर्वेःवादी ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर की आराजी नंबर-9130 का एएसआई सर्वे हो गया है. वहीं, आदि विश्वेश्वर की आराजी में रकबा नंबर- 9131 व 32 में स्थिति जानने को भी सर्वे हो जाना चाहिए. इस आराजी में भगवान आदि विशेश्वर का बड़ा मंदिर, चहारदीवारी और बहुत पुराना मंदिर है. इसके साथ ही एसआई द्वारा ज्ञानवापी परिसर के शेष हिस्सों का भी सर्वे होना चाहिए, जिससे ज्ञानवापी की संपूर्ण सच्चाई सामने आ जाए.


शैलेंद्र पाठक व्यास के मुद्दे को खारिज करने की मांग
जिला एवं सत्र न्यायालय में लॉर्ड विश्वेश्वरनाथ के वादमित्र विजय शंकर रस्तोगी की तरफ से दलील दी गई है. यह कहा गया कि हाईकोर्ट ने 6 माह में मुकदमे के निस्तारण का आदेश दिया है. इसे जल्द पूरा कर लिया जाए. वहीं उन्होंने वादमित्र के आश्रितों में शामिल सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक व्यास को पक्षकार बनाने के मुद्दे को भी खारिज करने की मांग की है. उनका कहना है कि यह री-प्रजेंटेटिव वाद है, इसमें जरूरी नहीं है कि वादी के मृत्यु होने पर उनके वारिस को पक्षकार बनाया जाए. दलील में कहा गया है कि केस में वादी नहीं होने पर उसका अधिवक्ता भी मुकदमा लड़ सकता है.

'143 वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहा व्यास परिवार'
वहीं सोमनाथ व्यास के नाती शैलेंद्र पाठक व्यास ने कोर्ट कहा कि, 1991 में प्राचीन मूर्ति स्वंयभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर नाथ की ओर से पंडित सोमनाथ व्यास और अधिवक्ता हरिहर पांडेय ने ही वाद दाखिल किया था. व्यास परिवार 143 वर्षों से कानूनी लड़ाई लड़ रहा था. उन्होंने कहा कि, 7 मार्च 2000 को पं. सोमनाथ व्यास का निधन हो गया. उनके स्थान पर पैरवी करने के लिए अदालत ने पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्त किया. अब उनके नाती मामले में पैरवी करना चाहते हैं. इस पर विजय शंकर रस्तोगी का कहना है कि केस में अब वही जीवित वादी बचे हैं. अन्य वादियों की मौत हो चुकी है.

यह है ये पूरा मामला
ज्ञानवापी में मंदिर के निर्माण और हिंदुओं को पूजा पाठ का अधिकार देने को लेकर स्वयंभू विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग की ओर से पं. सोमनाथ व्यास के साथ पक्षकार रहे दिवंगत हरिहर नाथ पांडेय व रासरंग शर्मा ने 15 अक्टूबर 1991 को सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में केस किया था. पं. सोमनाथ व्यास के निधन के बाद उनके स्थान पर पैरवी करने के लिए अदालत ने पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र नियुक्त किया. इसके बाद हरिहर नाथ पांडेय की भी 10 दिसंबर 2023 को मृत्यु हो गई थी. इस मामले में 19 जनवरी 2024 को उनके दोनों बेटों ने पिता के स्थान पर मामले में पक्षकार बनने के लिए प्रार्थना पत्र दिया था.

Last Updated : Mar 12, 2024, 7:02 PM IST

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