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राहुल गांधी का बड़ा ऐलान, वायनाड में 100 घर बनवाएगी कांग्रेस - Wayanad Landslide - WAYANAD LANDSLIDE

Rahul Gandhi On Wayanad Landslide: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन को भयावह त्रासदी बताया. उन्होंने कहा कि राज्य में अब तक ऐसी घटना नहीं देखी गई है और इससे अलग तरीके से निपटा जाना चाहिए.

भूस्खलन पीड़ितों से मिले राहुल गांधी
भूस्खलन पीड़ितों से मिले राहुल गांधी (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 2, 2024, 4:52 PM IST

नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को घोषणा की कि कांग्रेस केरल के वायनाड में 100 से अधिक घरों का निर्माण कराएगी. इस दौरान उन्होंने कहा कि केरल में पहले कभी किसी इलाके में ऐसी त्रासदी नहीं देखी गई और वह इस मुद्दे को दिल्ली में भी उठाएंगे.

गौरतलब है कि कांग्रेस नेता फिलहाल वायनाड में राहत शिवरों का दौरा कर रहे हैं, जहां हाल ही मे तीन बड़े भूस्खलन हुए थे. भूस्खलन के चलते 275 से अधिक लोगों की मौत हो गई है और कई घर नष्ट हो गए.

राहुल गांधी ने कहा, "यह एक भयानक त्रासदी है. हम कल घटनास्थल पर गए थे. हम कैंप में गए, हमने वहां की स्थिति का आकलन किया. आज, हमने प्रशासन और पंचायत के साथ बैठक की. उन्होंने हमें हताहतों की संख्या, क्षतिग्रस्त हुए घरों की संख्या और अपनी रणनीति के बारे में जानकारी दी."

कांग्रेस 100 से अधिक घर बनाने के लिए प्रतिबद्ध
राहुल गांधी ने कहा, "हम हर संभव मदद के लिए यहां हैं. कांग्रेस परिवार यहां 100 से अधिक घर बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. मुझे लगता है कि केरल में पहले इस तरह की त्रासदी नहीं देखी है और मैं इस मुद्दे को दिल्ली और यहां के मुख्यमंत्री के सामने भी उठाने जा रहा हूं. यह एक अलग स्तर की त्रासदी है और इसे अलग तरीके से देखा जाना चाहिए."

प्रियंका गांधी भी रहीं मौजूद
इससे पहले लोकसभा सांसद ने गुरुवार को कहा था कि भूस्खलन से हुई तबाही को देखना दर्दनाक है और वह उसी तरह महसूस कर रहे हैं जैसा उन्होंने 1991 में अपने पिता पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के समय महसूस किया था. शिवरों के दौरे के समय कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी उनके साथ मौजूद रहीं, जिन्हें पार्टी ने वायनाड से लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया है.

भूस्खलन में करीब 350 इमारतों को नुकसान
बता दें कि भूस्खलन में करीब 350 इमारतें क्षतिग्रस्त हो गई थीं. साथ ही बचाव कार्य में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें खतरनाक इलाका और भारी उपकरणों की कमी शामिल थी. सेना, नौसेना और एनडीआरएफ के 1600 बचावकर्मियों को बचाव अभियान में लगाया गया था.

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