नई दिल्ली: कांग्रेस के प्रबंधक इस बात से खुश हैं कि पार्टी उम्मीदवारों ने 288 विधानसभा सीटों में से 102 पर नामांकन दाखिल कर दिए हैं, जो महा विकास अघाड़ी के भीतर सबसे बड़ी संख्या है. लेकिन 4 नवंबर की नामांकन वापसी की समय सीमा से पहले बागियों को मनाने के लिए वरिष्ठ नेताओं को तैनात करना पड़ा है.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस को लगभग 9 सीटों पर बागियों का सामना करना पड़ रहा है, जो निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ रहे हैं. जबकि 29 अक्टूबर तक सभी 288 सीटों के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि थी. शिवसेना (यूबीटी) ने लगभग 95 सीटों पर और एनसीपी-एसपी ने 87 सीटों पर नामांकन दाखिल किए हैं.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार, पिछले दो दिनों में, कांग्रेस हाईकमान ने महाराष्ट्र के प्रभारी AICC रमेश चेन्निथला, राज्य इकाई के प्रमुख विजय वडेट्टीवार, पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और पूर्व कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट सहित वरिष्ठ राज्य नेताओं को बागियों से बात करने और यह सुनिश्चित करने के लिए तैनात किया है कि वे 4 नवंबर तक अपना नामांकन वापस ले लें. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि, राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, उत्तर प्रदेश के प्रभारी अविनाश पांडे, सीडब्ल्यूसी सदस्य सचिन पायलट और अन्य सहित AICC के क्षेत्रवार पर्यवेक्षक भी बागियों को शांत करने के प्रयासों में शामिल हैं.
इस दौरान गहलोत और पांडे ने कोंकण क्षेत्र के नेताओं से बातचीत की, जबकि पायलट और तेलंगाना के नेता उत्तम रेड्डी ने मराठवाड़ा क्षेत्र के नेताओं से चर्चा की. दूसरी तरफ चव्हाण और थोराट अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रहे हैं. कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में गहलोत, कर्नाटक के मंत्री जी परमेश्वर को मुंबई और कोंकण क्षेत्र के लिए पर्यवेक्षक के रूप में तैनात किया था, जबकि छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, जालंधर से लोकसभा सांसद चरणजीत सिंह चन्नी और मध्य प्रदेश के पूर्व मंत्री उमंग सिंघार को विदर्भ क्षेत्र (अमरावती और नागपुर) का प्रभार दिया गया था.