रायपुर: आज झीरम हत्याकांड की 11वीं बरसी है. आज से ठीक 11 साल पहले माओवादियों ने बड़े ही निर्मम तरीके से कांग्रेस के दिग्गज 30 नेताओं और कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी थी. हत्याकांड इतना विभत्स और दिल दहलाने वाला था कि पूरा देश उसे देख कांप गया. माओवादी हिंसा से जो लोग वाकिफ नहीं थे उनके कारनामों को देख डर गए. माओवादियों के वेल्ड प्लैन्ड हमले में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व पूरी तरह से खत्म हो गया. माओवादियों के खूंखार हमले में तब के सीएम पद के सबसे बड़े दावेदार और दिग्गज नेता नंद कुमार पेटल भी मारे गए. पटेल के आलावा विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार की भी मौत हो गई.
झीरम हत्याकांड की 11वीं बरसी आज: झीरम हत्याकांड की 11वीं बरसी आज देश मना रहा है. ग्यारह सालों का लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी अबतक हत्याकांड के दोषी पकड़े नहीं जा सके हैं. हत्याकांड की साजिश किसने रची इसका भी पता जांच एजेंसियां नहीं लगा पाई हैं. भूपेश बघेल की सरकार जब सत्ता में आई तो लगा कि जांच पूरी होगी और राज से पर्दा उठेगा. कांग्रेस का पांच साल का शासन भी खत्म हो गया. जांच जहां से शुरु हुई थी आज भी वहीं पर खड़ी है.
झीरम की कहानी चश्मदीद की जुबानी: जिस वक्त झीरम हत्याकांड को अंजाम दिया गया उस वक्त कांग्रेस के प्रचार काफिले में कांग्रेस नेता शिव सिंह ठाकुर भी मौजूद थे. माओवादियों के खूनी हमले में जान बचाकर भागने वाले शिव सिंह ठाकुर बताते हैं कि आज भी उस खूनी मंजर को याद कर उनके रौंगटे खड़े हो जाते हैं. ठाकुर बताते हैं कि ''नक्सलियों को उनका टारगेट पता था. नक्सली नंदकुमार पटेल को टारगेट करने के लिए ही पहुंचे थे. कांग्रेस के पक्ष में उस वक्त काफी बढ़िया माहौल था. ऐसा लग रहा था और हम सभी को भरोसा था कि नंद कुमार पटेल सीएम बनकर ही लौटेंगे. प्रदेश में अगर कांग्रेस की सरकार बनती तो निश्चित तौर पर पटेल ही सीएम होते. पटेल ही सीएम बनते इस बात का सभी को विश्वास था. शायद यही कारण रहा कि उनको टारगेट किया गया''.
24 मई 2013 पसरा था मौत का सन्नाटा: साल 2013 में छत्तीसगढ़ में विधानसभा का चुनाव होना था. बीजेपी और कांग्रेस दोनों प्रचार में जोर शोर से जुटी थी. तब प्रदेश के मुखिया रमन सिंह हुआ करते थे. कांग्रेस पार्टी ने रमन सिंह को सत्ता से हटाने और कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनाने के लिए परिवर्तन यात्रा निकाली. पूरे प्रदेश में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा घूम घूम कर प्रचार पर निकली. कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा को जनता का जोरदार सपोर्ट भी मिलने लगा. जनता के सपोर्ट को देखकर कांग्रेस के नेता भी खासे उत्साहित रहे. खुद नंद कुमार पटेल परिवर्तन यात्रा के मंच से बीजेपी पर हमलावर रहे. परिवर्तन यात्रा जब अपने शबाब पर थी तब कांग्रेस के नेता यात्रा के साथ बस्तर पहुंचे. परिवर्तन यात्रा जब झीरम घाटी में पहुंची तब नक्सलियों ने चारों और से कांग्रेस के काफिले को घेरकर गोलीबारी शुरु कर दी. नक्सलियों के हमले में कांग्रेस का पूरा का पूरा शीर्ष नेतृत्व खत्म हो गया. जो इस हमले में बच गए वो आज भी उस दिन को याद कर सिहर जाते हैं. नक्सलियों के हमले में बाल बाल बचे शिव कुमार ठाकुर कहते हैं कि '' इतना लंबा वक्त बीत जाने के बाद भी हमले में मारे गए लोगों के परिवार को न्याय नहीं मिल पाया है. 11 साल से पीड़ित के परिवार वाले न्याय की उम्मीद में दर दर की ठोकरे खा रहे हैं. आज भी हमें उम्मीद है कि एक न एक दिन हमें न्याय जरूर मिलेगा. शासन और प्रशासन से जरुर हमें नहीं मिल पा रहा है लेकिन एक दिन भगवान से न्याय जरुर मिलेगा.