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कावेरी पैनल ने कर्नाटक को प्रतिदिन तमिलनाडु को 1 टीएमसी पानी छोड़ने का निर्देश दिया, सीएम सिद्धारमैया के आवास पर बुलाई बैठक - Cauvery panel directs Karnataka - CAUVERY PANEL DIRECTS KARNATAKA

CAUVERY WATER ISSUE: कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण (सीडब्ल्यूएमए) के गुरुवार के निर्देश पर चर्चा के लिए आज एक आपातकालीन बैठक बुलाई है. सीडब्ल्यूएमए ने गुरुवार को निर्देश दिया था कि राज्य को 31 जुलाई तक तमिलनाडु को प्रतिदिन एक टीएमसीएफटी पानी छोड़ना चाहिए.

Cauvery Water Issue
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की फाइल फोटो. (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 12, 2024, 7:37 AM IST

बेंगलुरु : कावेरी जल नियंत्रण समिति ने प्रतिदिन तमिलनाडु को 1 टीएमसी पानी छोड़ने की सिफारिश के बाद शुक्रवार को कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के आवास पर जल संसाधन विभाग की एक आपातकालीन बैठक बुलाई गई है. बैठक में कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री और जल संसाधन मंत्री डीके शिवकुमार, विभाग के वरिष्ठ अधिकारी, कावेरी घाटी के मंत्री भाग लेंगे. बैठक आज दोपहर 3 बजे मुख्यमंत्री के गृह कार्यालय कृष्णा में होगी.

इससे पहले, पानी की भारी कमी का सामना करने के बाद, कर्नाटक सरकार ने कहा था कि वह तमिलनाडु को पानी छोड़ने की स्थिति में नहीं होगी, भले ही केंद्र उसे ऐसा करने के लिए कहे. कर्नाटक सरकार की ओर से तमिलनाडु को कावेरी नदी से पानी छोड़े जाने के भाजपा के आरोपों को नकारते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा जो कह रही है, वह सब झूठ है.

उन्होंने कहा कि हम तभी पानी छोड़ सकते हैं, जब हमारे पास पानी हो. यह झूठ है. जब हमारे पास छोड़ने के लिए पानी नहीं होता, तो हम तमिलनाडु या किसी अन्य को एक बूंद पानी भी नहीं देते. यहां तक कि तमिलनाडु ने भी पानी नहीं मांगा.

सिद्धारमैया ने आगे कहा कि उनका राज्य तमिलनाडु को पानी नहीं छोड़ेगा, भले ही केंद्र उसे ऐसा करने का निर्देश दे. हमारे पास छोड़ने के लिए पानी नहीं है. पानी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता. मुख्यमंत्री ने कहा कि भले ही तमिलनाडु मांगे या केंद्र हमें (पानी) छोड़ने के लिए कहे, हम नहीं छोड़ेंगे. हम किसी को भी पानी नहीं देंगे.

कर्नाटक और तमिलनाडु की सरकारें कावेरी जल बंटवारे को लेकर लंबे समय से उलझी हुई हैं. नदी को दोनों राज्यों के लोगों के लिए जीविका का प्रमुख स्रोत माना जाता है. केंद्र ने 2 जून, 1990 को कावेरी जल विवाद न्यायाधिकरण (सीडब्ल्यूडीटी) का गठन किया, ताकि तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और पुडुचेरी के बीच उनकी व्यक्तिगत जल-साझाकरण क्षमता से संबंधित विवादों का निपटारा किया जा सके.

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