नई दिल्ली:बुराड़ी बिल्डिंग हादसे में करीब 32 घंटे के बाद NDRF टीम ने जीवित परिवार को निकाला. पीड़ित राजेश ने बताई अपनी आप बीती, कैसे दो दिन मलबे के नीचे 2 फुट की जमीन के हिस्से में अपने बच्चों को टमाटर और गजक की टिकिया खिलाकर उन्हें जिंदा रखा. आखिरकार NDRF की टीम द्वारा जो रेस्क्यू ऑपरेशन किया जा रहा था, उससे जीने की उम्मीद जागी. एक पाइप के जरिए जमीन के मलबे में दबे राजेश ने अपने परिवार को बचाने के लिए एनडीआरएफ की टीम को संकेत दिए. इसके बाद रेस्क्यू कर चारों को सुरक्षित बाहर निकल गया जिसका इलाज बुरारी हॉस्पिटल में जारी है.
मलवे से 32 घंटे के बाद निकाला गया जिंदा:जाको राखे साइयां मार सके ना कोई वाली कहावत बुराड़ी की निर्माणधिन इमारत ध्वस्त होने के बाद मलवे से करीब 32 घंटे के बाद बाहर निकले एक परिवार के लिए वरदान साबित हो गई. बुराड़ी हॉस्पिटल में इलाज करा रहे इस परिवार ने जीने की आस और उम्मीद छोड़ दी थी, लेकिन एक पिता अपनी पत्नी और बच्चों की जान बचाने की उम्मीद में आस लगाए बैठा था.
टिकिया खिलाकर बच्चों को रखा जिंदा :राजेश नाम की इस शख्स ने अपने बच्चों को जिंदा रखने के लिए उनके पास पड़े टमाटर और मूंगफली और गुड की टिकिया थोड़ी-थोड़ी कर करके 2 दिनों तक खिलायी. राजेश के दोस्त इमारत की दूसरी फ्लोर पर रह रहे थे. राजेश ने अपनी जिंदगी और मौत की आप बीती बतायी. उन्होंने बताया कि जो वह बिल्डिंग के अंदर दबे तो एक सिलेंडर के जरिए लेटकर उनकी टांग पर आ कर गिर गया. जिसकी मदद से वह दब नहीं पाए.
मात्र 2 फुट के दायरे में सांस लेने की थी जगह :मात्र 2 फुट का दायरा उन्हें सांस लेने और जिंदगी बिताने के लिए मिला. राजेश ने बताया कि जेसीबी क्रेन उनके ऊपर से गुजर रही थी और शोर शराबे की आवाज आ रही थी लेकिन उनकी कोई भी आवाज नही सुन पा राह था. आखिरकार भगवान ने एक पिता की दिल की आवाज सुनी और जेसीबी का पंजा उनके सर से होकर गुजर जिसे जिंदगी की उम्मीद जगी और उन्होंने पास पड़े बिजली के पाइप के जरिए आवाज लगाकर यह बताया कि वह इसके अंदर अभी जीवित है. इसके बाद NDRF की टीम ने उन्हें सुरक्षित बाहर निकाल लिया.