हैदराबादः पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार इस बार अपने तीसरे कार्यकाल के लिए पहले बजट से बिहार और आंध्र-प्रदेश को छोड़कर ज्यादातर राज्यों को निराशा हाथ लगी है. अक्सर केंद्र की सत्ता में रहने वाली सरकार आगामी राज्य विधान सभा चुनाव वाले राज्यों के लिए बजट में दिल खोलकर धन राशि की स्वीकृति देती है. इस बार ऐसा नहीं हुआ. केंद्र सरकार ने चुनावी राज्यों के लिए विकास का पिटारा नहीं खोल पाई.
माना जा रहा है गठबंधन के सहयोगी जदयू-टीडीपी के हिस्से सारे मेगा प्रोजेक्ट्स चला गया. सबसे ज्यादा हिस्सेदारी बिहार के हिस्से 58,900 करोड़ और तेलंगाना के हिस्से आईं. इसके तहत कई नये मेगा प्रोजेक्ट्स जैसे सड़क, रेल, मेट्रो, थर्मल पावर स्टेशन, मेडिकल कॉलेज, यूनिवर्सिटी के लिए बड़ी राशि की स्वीकृति दी गई. इसके अलावा पूर्व से जारी योजनाओं के लिए धन उपलब्ध कराया है.
बता दें कि 2024 में हरियाणा विधान सभा के लिए चुनाव नवंबर में होने हैं. यहां वर्तमान में भाजपा की सरकार है. आगामी चुनाव में कमबैक करने के लिए केंद्र सरकार लगातार प्रयास कर रही है. वहीं बजट में हरियाणा की जनता को बड़ी परियोजना की उम्मीद थी, वह पूरी नहीं हुई. वहीं 2025 में 3 राज्यों में चुनाव होने हैं. इसमें झारखंड और दिल्ली में भाजपा विपक्ष में है. सत्ता में वापसी के लिए राज्य की कई बड़ी योजनाओं को घोषणा की उम्मीद थी. वह पूरी नहीं हुई.
दूसरी ओर वर्तमान में नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार है. केंद्र में नीतीश कुमार की जदयू प्रमुख घटक दल है. केंद्र में नीतीश का साथ और आगामी बिहार विधान सभा चुनाव 2025 में राज्य में ज्यादा से ज्यादा सीटें लाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 58,900 करोड़ का बजटीय प्रावधान किया है. इस राशि की मदद से कई बड़ी योजनाओं को जमीन पर उतारा जायेगा. बता दें कि लोक सभा चुनाव नीतीश कुमार ने राज्य की बड़ी योजनाओं की सूची सौंपी थी. साथ ही विशेष राज्य का दर्जा मांगा था. विशेष राज्य के दर्जे पर बात नहीं बनी. इसके एवज में बड़ी योजनाओं की स्वीकृति दी गई है.