नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के प्रशांत विहार इलाके में गुरुवार को एक धमाका हो गया. प्रशांत विहार इलाके में पीवीआर सिनेमा हॉल के पास आज सुबह धमाका हुआ. बताया जा रहा है कि पीवीआर के पास बंसी स्वीट्स के सामने यह धमाका हुआ. इसकी जानकारी पीसीआर कॉल को 11 बजकर 48 मिनट पर मिली. लोगों को यहां पर धुएं का गुबार देखने को मिला था. सूचना पर अग्निशमन विभाग, पुलिस और फारेंसिक टीम मौके पर पहुंचकर जांच में जुटी हुई है. मौके से फारेंसिक टीम को सफेद पाउडर सा दिखने वाला पदार्थ भी मिला है. फारेंसिक टीम उसकी जांच कर रही है. यह धमाका क्यों और कैसे हुआ. इसके पीछे कौन लोग हैं समेत अन्य बिंदुओं पर पुलिस जांच करने में जुटी हुई है.
बताया जा रहा है कि धमाका काफी तेज था. हालांकि इससे किसी के नुकसान होने की कोई जानकारी नहीं है. सूचना मिलते ही मौके पर दिल्ली पुलिस और फायर ब्रिगेड टीम पहुंची. दिल्ली अग्निशमन सेवा ने कहा कि आज सुबह 11.48 बजे प्रशांत विहार इलाके से विस्फोट की सूचना मिली है. दमकल गाड़ियां मौके पर पहुंच गई हैं. प्रशांत विहार में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए धमाके के एक महीने बाद यह दूसरी घटना हुई है. फिलहाल दिल्ली के प्रशांत विहार में हुए विस्फोट की जगह पर जांच जारी है. दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच, स्पेशल सेल और बम निरोधक दस्ते की टीमें मौके पर मौजूद हैं.
20 अक्टूबर को भी यहां पर हुआ था धमाका:बता दें कि बीते महीने सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए धमाके में स्कूल की दीवार क्षतिग्रस्त हो गई थी. साथ ही आस-पास की दुकानों को भी नुकसान पहुंचा था. घटनास्थल पर मौजूद लोगों ने बताया था कि धमाके की आवाज सुनकर उन्होंने तुरंत अपने घरों और दुकानों से बाहर निकलकर देखा. इसमें कोई हताहत नहीं हुआ था. प्रशांत विहार इलाके में सीआरपीएफ स्कूल के पास हुए विस्फोट मामले में दिल्ली पुलिस ने एक्सप्लोसिव एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की थी.
विस्फोट के बाद करीब पांच घंटे तक केंद्रीय जांच एजेंसियों ने वहां से सबूत इकठ्ठे किए. घटना के बाद गृह मंत्रालय द्वारा दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगने पर उन्हें प्रारंभिक रिपोर्ट भी भेजी गई. सभी एजेंसियों के एक्सपर्ट्स ने अपने-अपने स्तर पर प्रथम दृष्टया मौके से उठाए गए केमिकल व अन्य नमूने को पास स्थित खाली जगह पर ले जाकर जांच की. ब्लास्ट में नाइट्रेट व क्लोराइड का इस्तेमाल किए जाने का पता चला है, जिसे उच्च श्रेणी विस्फोटक में नहीं माना गया. एजेंसियों को यह पता लगाना मुश्किल हो गया था कि धमाका कैसे कराया गया. क्योंकि मौके से टाइमर, डेटोनेटर, तार, बैट्री, घड़ी आदि नहीं मिले. जिससे यह माना जाए कि धमाके के लिए रिमोट का इस्तेमाल किया गया हो.