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सरहद पर देश की हिफाजत करेंगे मौलाना, भोपाल में स्काउट एंड गाइड की ट्रेनिंग ले रहे मौलाना

Bhopal Maulanas Training: मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में 8 राज्यों के मौलाना स्काउट एंड गाइड की ट्रेनिंग ले रहे हैं. दरअसल जमीयत उलेमा हिंद का टारगेट एक करोड़ से ज्यादा मदरसों के मौलानाओं को ट्रेनिंग दिलाना है. ताकि मौका पड़े तो सरहद पर देश की हिफाजत को भी पहुंच सकें.

Bhopal Maulanas Training
भोपाल में मौलानाओं की ट्रेनिंग

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 31, 2024, 10:35 AM IST

भोपाल में स्काउट एंड गाइड की ट्रेनिंग ले रहे मौलाना

भोपाल।ताकि अगर देश पर संकट आए तो मदरसों में दीनी तालीम देने वाले मौलाना भी सरहद पर अपनी जान की बाजी लगाने तैयार रहें. ताकि कुदरत के कहर के बीच मानवता की सेवा के लिए पहुंच सकें मौलाना...और मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे भी दीनी तालीम से पहले इंसानियत के सबसे जरुरी सबक को अपनी जिंदगी में उतार लें. इसी मकसद के साथ एमपी में इन दिनों मध्यप्रदेश समेत देश के अलग अलग हिस्सों से आए मौलाना कैम्प में रहकर स्काउट गाईड की ट्रेनिंग ले रहे हैं. संस्था जमीयत उलेमा ए हिंद की पहल पर 2028 तक एक करोड़ 38 मदरसों के मौलाना को ट्रेंड करने का टारगेट है.

जमीयत ए उलेमा हिंद की कोशिश, मदरसों में नई खिड़की

मदरसों में दीनी तालीम देने वाले मौलाना एमपी की राजधानी भोपाल के गाँधी नगर इलाके में खुद स्काउड गाईड की ट्रेनिंग ले रहे हैं. इन्हें यहां स्काउट का सात दिन का बेसिक कोर्स करवाया जा रहा है. इस ट्रेनिंग में आठ राज्यों के मौलाना शामिल हुए हैं. जमीयत यूथ क्लब के साथ मिलकर भारत स्काउड एण्ड गाइड ने ये शिविर लगाया है. लक्ष्य ये है कि 2028 तक एक करोड़ 38 लाख मदरसों के मौलाना स्काउट गाईड की ट्रेनिंग ले लें. जमीयत उलेमा ए हिंद के जनरल सेकेट्री मौलाना करीम कहते हैं ''देखिए बदलाव आ रहा है, उसी की ये भी झलक है. देखिए, अनट्रेंड लोग किसी खी भी मदद नहीं कर सकते हैं. आपदा आती है तो जो कुशल होंगे हुनर होगा जिनमें, ठीक प्रकार से मदद कर सकेंगे. ट्रेंड नहीं होंगे तो अपनी जान को जोखिम में डाल लेंगे. हम मदरसों के टीचर्स को स्काउड गाइड से जोड़कर मुस्लिम बच्चों तक ये ट्रेनिग पहुंचाना चाहते हैं. वो बच्चे भी फिजीकल ट्रेनिंग लेंगे. हम चाहते हैं कि ये मौलाना जरुरत पड़ने पर देश की सेवा भी कर सकें.''

भोपाल में मौलानाओं की ट्रेनिंग

इंसानियत तो है....पर सही मदद सीखनी भी जरुरी

मौलाना इस्माईल बेग कहते हैं, ''देखिए मजहब हमें इंसानियत की तालीम देता है. भलाई के काम करो ये सिखाता है. लेकिन ये किस तरह से करना है, स्काउट गाइड के साथ जमीयत ए उलेमा यूथ की इस ट्रेनिंग में हम ये बाकायदा सीख रहे हैं. पेशेंट होता है मरीज होता है किस तरीके से उसकी मदद कर सकें तो उसको नुकसान ना पहुंचे. हम मदरसे से आए हैं, टीचर्स लोग हैं जो बच्चों को पढ़ाते हैं. हम आगे ये ही बात बच्चों को सिखाएंगे.'' इस्माईल कहते हैं, पढ़ने पढ़ाने में हमें इतना वक्त नहीं मिल पाता कि हम फिजीकल एक्टिविटी करवा पाएं. एक अन्य मौलाना कहते हैं भारत स्काउट गाईड में 70 से 80 फीसदी इस्लामिक नियम जैसे ही हैं.

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मौलानाओं की ट्रेनिंग के साथ ही तस्वीर बदल गई

इन मौलानाओं के ट्रेनर सलीम त्यागी कहते हैं ''मौलानाओं से हम सीखते भी हैं इन्हें सिखाते भी हैं. शारीरिक मानसिक आध्यात्मिक विकास किया जा सकता है, वो शिविर में देने का प्रयास करते हैं.'' ट्रेनर सुभाष चंद्र दुबे कहते हैं, ''इसके पहले मौलानाओं के जो पांच कोर्स किए वो बता रहे हैं कि समाज में दृश्य बदल रहा है. भावनाएं अन्य धर्म के लोगों की इनके प्रति भावनाएं बदल गई हैं. स्काउट का लक्ष्य है इन्हें सुनागरिक बनाना. उस मूल्य उद्देश्य की प्राप्ति हो रही है इस बात की खुशी होती है. खुशी होती है कि हम लक्ष्य पर पहुंच सके. 2034 का विजन है उसमें हमने तय किया था ढाई सौ करोड़ लोग स्काउट गाईड के तैयार करेंगे.''

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