नगांव: असम के नगांव जिले में एक शख्स को एक जोड़ी चप्पल पहनने में 24 साल लग गए. व्यक्ति का नाम अतुल देबनाथ है. वैसे उन्हें कोई आर्थिक समस्या या कोई बीमारी भी नहीं है. फिर ऐसी क्या वजह रही कि, 60 साल के देबनाथ को 24 साल तक जमीन पर नंगे पैर चलना पड़ा.
दरअसल, असम के नगांव जिले के सामगुरी निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता देबनाथ ने 2001 में शपथ ली थी कि वह अपने पैरों में फिर से चप्पल तभी पहनेंगे, जब असम गण परिषद (एजीपी) निर्वाचन क्षेत्र में फिर से सत्ता में आएगी. क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी एजीपी के एक समर्पित जमीनी कार्यकर्ता देबनाथ को 2001 में सामगुरी में कांग्रेस उम्मीदवार रकीबुल हुसैन के हाथों एजीपी की चुनावी हार देखकर बहुत दुख हुआ था.
24 साल बाद 60 साल के बुजुर्ग ने चप्पल को पैर में पहना (ETV Bharat) 2001 में एजीपी उम्मीदवार अतुल शर्म कांग्रेस उम्मीदवार रकीबुल हुसैन से हार गए थे. समागुरी कभी क्षेत्रीय पार्टी का गढ़ हुआ करता था. हार के दर्द ने देबनाथ को यह प्रण करने पर मजबूर कर दिया कि जब तक पार्टी सत्ता में वापस नहीं आती, तब तक वे अपने पैरों में चप्पल नहीं पहनेंगे. पिछले साल अक्टूबर में सत्तारूढ़ भाजपा ने समागुरी निर्वाचन क्षेत्र में जीत हासिल की और निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस के 24 साल पुराने शासन को खत्म कर दिया.
भाजपा के दीपरुंजन शर्मा शर्मा ने उपचुनाव में रकीबुल हुसैन के बेटे कांग्रेस उम्मीदवार तंजील हुसैन को 24,423 मतों के भारी अंतर से हराया. मुस्लिम बहुल सामगुरी निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की जीत ने उन क्षेत्रों में भाजपा की बढ़ती पैठ का भी संकेत दिया, जहां लंबे समय से उसके प्रतिद्वंद्वियों का दबदबा रहा है. चूंकि क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टी एजीपी दिसपुर में भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन की भागीदार है और दिल्ली में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) की भी सदस्य है.
अतुल देबनाथ ने प्रतीज्ञा ली थी कि वे चप्पल तब तक नहीं पहनेंगे... (ETV Bharat) वरिष्ठ एजीपी नेता और असम कैबिनेट के मंत्री केशव महंत ने बुधवार (22 जनवरी) को देबनाथ के घर का दौरा किया और उन्हें दो जोड़ी चप्पल भेंट की. यह एक भावुक क्षण था जब देबनाथ ने प्रतिज्ञा तोड़ी और 24 साल के लंबे समय के बाद अपने पैरों में चप्पल पहनी. उन्होंने कहा, "2001 से सामगुरी में कांग्रेस का शासन हमारे लिए एक बुरा सपना रहा है. मुझे और मेरे परिवार को स्थानीय कांग्रेस नेताओं द्वारा अपमान और मजाक का सामना करना पड़ा. मुझे कुछ कांग्रेस समर्थकों द्वारा भी प्रताड़ित किया गया.
उन्होंने आगे कहा कि,लोग उनकी प्रतिज्ञा के लिए उनका और उनके परिवार का मजाक उड़ाते थे. कांग्रेस समर्थित कुछ स्थानीय गुंडों ने एक बार उन पर पेशाब भी किया था. हालांकि, उनके मजाक, अपमान और यातना ने उनके धैर्य को और मजबूत किया.
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