लखनऊः आम आदमी पार्टी राज्यसभा सांसद संजय सिंह की जमानत याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने फैसला सुरक्षित रखा है. हाई कोर्ट ने मामले की सुनवाई पूरी करने के बाद आदेश सुरक्षित रख लिया है. गांधी पार्टी के राज्यसभा सांसद और उत्तर प्रदेश प्रभारी संजय सिंह को 23 साल पुराने एक मामले में सुल्तानपुर की स्पेशल कोर्ट ने सजा सुनाई थी. इस फैसले के खिलाफ संजय सिंह ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इससे एक दिन पहले हाईकोर्ट से संजय सिंह को बड़ी राहत मिली थी.
सुल्तानपुर कोर्ट में संजय सिंह के आत्मसमर्पण को लेकर उनके वकीलों ने दलील दी थी कि गुरुवार को सांसद संजय सिंह संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक में भाग लेना है. ऐसे में आत्मसमर्पण के लिए सुल्तानपुर नहीं जा सकते हैं. हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक मामला गुरुवार के उनके समक्ष नहीं आता आरोपी पुनरीक्षणकर्ता निचली अदालत के समक्ष आत्म समर्पण करने की आवश्यकता नहीं है.
सुल्तानपुर में पानी बिजली की समस्या को लेकर 23 साल पहले दिए गए धरना प्रदर्शन पर संजय सिंह को स्थानीय कोर्ट ने 3 माह की सजा सुना दी थी. उन्हें सरेंडर करने का आदेश दिया था और एनबीडब्ल्यू भी जारी हो गया था. इस मामले में संजय सिंह के साथ समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक सहित छह लोग नामजद थे. इस मामले में सरकार की ओर से पेश वकील ने उच्च न्यायालय में दलील अच्छी संजय सिंह की पुनर्कशन याचिका विचारणीय नहीं है, क्योंकि सत्र न्यायालय में उन्हें सजा काटने के लिए 9 अगस्त को निचली अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था, लेकिन संजय सिंह ने आत्मसमर्पण नहीं किया था.
इससे पहले उच्च न्यायालय में 14 अगस्त को इसी मामले की सुनवाई की थी. एक दिन पहले 13 अगस्त को सुल्तानपुर की एमपी-एमएलए कोर्ट ने संजय सिंह समाजवादी पार्टी के नेता अनूप संडा और चार अन्य के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था, लेकिन वह मंगलवार को सुनवाई के लिए सुल्तानपुर अदालत में पेश नहीं हुए.
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