नई दिल्ली :अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के पांच उम्मीदवारों के समझौता करने के बाद भाजपा उम्मीदवारों के निर्विरोध निर्वाचित से कांग्रेस में खतरे की घंटी बज गई है. 22 मार्च को, कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति ने अरुणाचल प्रदेश के लिए 34 उम्मीदवारों को मंजूरी दी थी और राज्य इकाई को पांच सीटों पर नामों को अंतिम रूप देना था, जिसमें एक सीट भी शामिल थी जहां से मुख्यमंत्री पेमा खांडू चुनाव लड़ रहे थे.
हालांकि, चूंकि कांग्रेस के उम्मीदवार 27 मार्च को नामांकन के आखिरी दिन उन पांच सीटों पर अपनी उम्मीदवारी दाखिल नहीं कर सके, इसलिए भाजपा के पांच उम्मीदवारों का निर्विरोध चुना जाना तय है. इस बारे में एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा कि आलाकमान नाराज है और उसने एआईसीसी के अरुणाचल प्रदेश प्रभारी चेला कुमार और राज्य इकाई प्रमुख नबाम तुकी से स्पष्टीकरण मांगा है. 60 सदस्यीय अरुणाचल प्रदेश विधानसभा के लिए मतदान 19 अप्रैल को चीन की सीमा से लगे उत्तर-पूर्वी राज्य की दो लोकसभा सीटों के चुनाव के साथ होगा. मुख्यमंत्री की सीट और अन्य चार सीटों पर कांग्रेस द्वारा भाजपा को वॉकओवर देने की घटना ने सबसे पुरानी पार्टी की छवि खराब कर दी है.
अरुणाचल प्रदेश कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष बोसीराम सिरम ने इस घटना के लिए भाजपा को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि यह घटना लोकतंत्र की हत्या है. उन्होंने कहा कि हमने उन पांच विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे लेकिन उन्होंने समझौता कर लिया. हमने अपने सहयोगियों से वहां उम्मीदवार उतारने के लिए कहा था लेकिन ऐसा लगता है कि कुछ गड़बड़ हो गई है. सिरम ने कहा कि भाजपा ने उन्हें प्रभावित करने के लिए धनबल का इस्तेमाल किया. यह लोकतंत्र की हत्या जैसा है.