नई दिल्ली:14 वर्ष पहले हुए एसिड अटैक में अपनी आंखों की रोशनी गंवाने वाली दो बहनें जुवेरिया और समर के जख्म एक बार फिर से हरे हो गए हैं. दरअसल उनके केस में हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने सबूतों के आभाव में आरोपियों को बरी कर दिया है. जिसके बाद से दोनों बहनें निराश हैं और कहा कि वे लड़ाई जारी रखते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगी. जिसकी वजह से हमारी जिंदगी तबाह हुई उन्हें सजा दिलाकर रहेंगे.
आर्थिक परेशानियों का कर रहे सामना: पीड़िता जुवेरिया ने बताया कि अक्टूबर 2009 में मेरे और मेरी बहन के ऊपर तेजाबा फेंका गया था और हम तब से लड़ाई लड़ रहे हैं. आंखें न होने की वजह से हम दूसरों पर निर्भर हैं. दिल्ली सरकार से पहले 1500 रुपये महीना पेंशन मिलती थी. अब बढ़कर 2500 रुपये मिलते हैं, लेकिन उससे मुश्किल से ही गुजारा हो पाता है. तीन साल पहले गुजर अब्बू गुजर गए, जो सरकारी टीचर हुआ करते थे. अम्मी को पेंशन मिलती है हमने कई बार दिल्ली सरकार से नौकरी की मांग की, लेकिन हमें नौकरी नहीं मिली. इससे हम आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं. घटना के समय दिल्ली सरकार से तीन-तीन लाख रुपये का मुआवजा मिला था. वह पैसा भी हमने घर को ठीक कराने के लिए किसी को दिया था, लेकिन एक आदमी पैसा लेकर भाग गया.
दरवाजा खोलने से लगता है डर:उन्होंनेहम दोनों बहनें देख नहीं पाते हैं. इसलिए जब कोई दरवाजे पर आवाज देता है तो एक बार तो डर लगता है. जब हमें यह समझ आ जाता है कि वह कौन है तभी दरवाजा खोलते हैं. कई बार हम दीवार से भी टकरा जाते हैं. हमें जब दवा के लिए या किसी अन्य काम से बाहर जाना होता है तो हम एक सप्ताह पहले अपने भाइयों से कहते हैं. हम सात सात बहन और चार भाई थे, जिसमें से एक भाई की मौत हो चुकी है. वहीं शादी के बाद बहनें ससुराल रहती हैं और भाई अलग रहते हैं. मेरी एक बहन ने अभी तक महिला आयोग की मदद से देखभाल की है. साथ ही एक एनजीओ की शाहीन ने भी काफी मदद की है. कोर्ट के फैसले से हम निराश हैं. पुलिस ने पहले ही हल्की चार्जशीट बनाकर कमजोर कर दिया था. यहां पैसे से सब हो जाता है. गवाह भी खरीदे जाते हैं. आज के समय में गलत आदमी को सही और सही को गलत साबित कर दिया जाता है.
हमले के बाद हुई 26 सर्जरी:जुवेरिया ने आगे बताया कि, एसिड अटैक के बाद छोटी बहन समर की 26 सर्जरी हुई, जबकि मेरी दो सर्जरी हुई. हमले के बाद हमें नजदीकी अस्पताल में भर्ती किया गया था. उसके बाद सफदरगंज और फिर एम्स में भी हमारा इलाज चला. घटना के एक घंटे बाद ही हमें धमकियां मिलनी शुरू हो गई थीं. उस समय बहुत डर लगता था. आरोपी काफी पैसे वाला था. उसने इलाके के एक बदमाश से ही हमारे ऊपर एसिड अटैक करवाया था.