नई दिल्ली: 18वीं लोकसभा का तीसरा सत्र शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया. इस दौरान कुल 20 बैठकें हुईं और 62 घंटे तक चलीं. 25 नवंबर को शीतकालीन सत्र शुरू होने के बाद से ही पूरे सत्र में हंगामे की स्थिति बनी रही. वहीं 18वीं लोकसभा की उपलब्धि 57.87 प्रतिशत थी.
पूरे सत्र के दौरान सदन में अराजकता से स्तब्ध लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने अपने समापन भाषण में कहा कि यह प्रत्येक सांसद की जिम्मेदारी है. बिरला ने कहा कि संसद के गेट के सामने प्रदर्शन करना बिल्कुल भी अच्छा संकेत नहीं है. सांसदों से संसद की गरिमा बनाए रखने की अपील करते हुए बिरला ने कहा, "संसद को अपनी गरिमा की रक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाने का अधिकार है."
लोकसभा सचिवालय द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के अनुसार, 18वीं लोकसभा में पांच सरकारी विधेयक पेश किए गए और चार विधेयक पारित हुए. शून्यकाल के दौरान अविलम्बनीय लोक महत्व के कम से कम 182 मामले उठाए गए, जबकि पूरे सत्र के दौरान नियम 377 के तहत 397 मामले उठाए गए. वहीं 61 तारांकित प्रश्नों के मौखिक उत्तर भी दिए गए. सदन में भारतीय संविधान के 75 वर्ष पूरे होने पर दो दिन तक मैराथन चर्चा भी हुई. यह चर्चा 13 दिसंबर को शुरू हुई और 14 दिसंबर को समाप्त हुई.
18वीं लोकसभा ने अपने सत्र के दौरान 17 दिसंबर को आर्मेनिया राष्ट्रीय असेंबली के अध्यक्ष और उनकी टीम का भी स्वागत किया. 28 नवंबर को दो नवनिर्वाचित सदस्यों ने भी शपथ ली. 18वीं लोकसभा के तीसरे सत्र के पहले सप्ताह की तरह ही पिछले 26 दिनों में लगभग सभी सप्ताह में सदन में अराजकता के हालात रहे. जहां पहले एक सप्ताह में विपक्षी दलों ने विभिन्न मुद्दों पर सदन को स्थगित कर दिया, इस वजह से लोकसभा 54 मिनट से भी कम समय तक चली, जबकि राज्यसभा 75 मिनट तक ही चल सकी.