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कुज्जन गांव को विस्थापन की दरकार, ग्रामीणों को 'डराती' बारिश की बूंदें

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Published : Jul 25, 2020, 6:33 PM IST

भटवाड़ी ब्लॉक का कुज्जन गांव में करीब 90 परिवार रहते हैं. साल 2010-11 में ग्रामीणों की मांग पर प्रशासन की ओर से गांव के विस्थापन के लिए सर्वे किया गया था, लेकिन उसके बाद से आज तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पाई है.

kujjan village
कुज्जन गांव

उत्तरकाशीः सीमात जनपद उत्तरकाशी आपदा के दृष्टिकोण से काफी संवेदनशील जिला है. यह जिला साल 2012-13 की आपदा से पहले भी कई बड़ी आपदाओं को झेल चुका है. आज भी जिले में कई गांव ऐसे हैं, जहां ग्रामीणों को मॉनसून सीजन आते ही आपदा का खौफ सताने लगता है, लेकिन दुर्भाग्य है कि आज भी कई गांव का विस्थापन सर्वे के बाद भी नहीं हो पाया है. जिसमें भटवाड़ी ब्लॉक का कुज्जन गांव भी शामिल हैं. जो करीब 10 से 12 सालों से विस्थापन की बाट जोह रहा है, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है. जिस कारण बरसात में ग्रामीण डरे सहमे रहते हैं.

कुज्जन गांव को विस्थापन की दरकार.

कुज्जन गांव के प्रधान महेश पंवार का कहना है कि गांव में करीब 90 परिवार रहते हैं. साल 2010-11 में ग्रामीणों की मांग पर प्रशासन की ओर से गांव के विस्थापन के लिए सर्वे किया गया था, लेकिन उसके बाद से आज तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पाई है. गांव की अधिकांश जनसंख्या जिस भाग में निवास करती है, वह पूरी तरह स्लाइडिंग जोन में है. जिससे बरसात में लगातार भू-धंसाव और भूस्खलन का खतरा बना रहता है.

ये भी पढ़ेंः आपदा का खौफ: धापा गांव के 47 परिवारों ने छोड़े मकान, प्लास्टिक टेंट का 'सहारा'

पंवार का कहना है कि मामले को लेकर वो कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि मॉनसून आते ही उन्हें डर सताने लगता है कि बरसात में किसी प्रकार की कोई अनहोनी न हो जाए. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि जल्द ही गांव के विस्थापन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए. जिससे ग्रामीण सुरक्षित रह सके.

उत्तरकाशी जिला झेल चुका है कई आपदाओं का दंश
उत्तरकाशी जिले के आपदा के इतिहास की बात करें तो साल 1978 की बाढ़ के बाद हर दस वर्ष में आपदा की बड़ी घटनाएं हुई हैं. जिसमें भूकंप, वरुणावत भूस्खलन और साल 2012-13 की बाढ़ जैसी बड़ी आपदाओं को झेल चुका है. जिस कारण कई गांव प्रभावित हुए हैं.

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कुज्जन गांव को विस्थापन की दरकार.

कुज्जन गांव के प्रधान महेश पंवार का कहना है कि गांव में करीब 90 परिवार रहते हैं. साल 2010-11 में ग्रामीणों की मांग पर प्रशासन की ओर से गांव के विस्थापन के लिए सर्वे किया गया था, लेकिन उसके बाद से आज तक किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं हो पाई है. गांव की अधिकांश जनसंख्या जिस भाग में निवास करती है, वह पूरी तरह स्लाइडिंग जोन में है. जिससे बरसात में लगातार भू-धंसाव और भूस्खलन का खतरा बना रहता है.

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पंवार का कहना है कि मामले को लेकर वो कई बार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को अवगत करा चुके हैं, लेकिन उनकी सुध नहीं ली जा रही है. वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि मॉनसून आते ही उन्हें डर सताने लगता है कि बरसात में किसी प्रकार की कोई अनहोनी न हो जाए. ग्रामीणों ने शासन-प्रशासन से मांग की है कि जल्द ही गांव के विस्थापन की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाए. जिससे ग्रामीण सुरक्षित रह सके.

उत्तरकाशी जिला झेल चुका है कई आपदाओं का दंश
उत्तरकाशी जिले के आपदा के इतिहास की बात करें तो साल 1978 की बाढ़ के बाद हर दस वर्ष में आपदा की बड़ी घटनाएं हुई हैं. जिसमें भूकंप, वरुणावत भूस्खलन और साल 2012-13 की बाढ़ जैसी बड़ी आपदाओं को झेल चुका है. जिस कारण कई गांव प्रभावित हुए हैं.

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