उत्तरकाशी: देशभर में टमाटर के दामों ने लोगों को रुला रखा है. अक्सर मॉनसून में टमाटर के दाम में गिरावट देखी जाती है, लेकिन इस बार टमाटर की कीमत में उछाल देखा जा रहा है. मई माह तक खुदरा बाजार में 10 से 20 रुपये किलो बिक रहा टमाटर जून माह में 100 रुपये किलो बिक रहा है. इससे न केवल लोगों का बजट बिगड़ गया है बल्कि स्वाद के साथ भी समझौता करना पड़ रहा है. हालांकि, उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कुछ राहत जरूर है. लेकिन इस बीच स्थानीय काश्तकार की टमाटर की फसल पर रोग लगने से किसानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है.
उत्तरकाशी के रंवाई घाटी में कुछ समय पहले टमाटर के अच्छे दाम मिलने से काश्तकारों के चेहरे खिले हुए थे. लेकिन टमाटर की फसल पर रोग लगने से काश्तकारों की चिंता बढ़ गई है. किसानों की टमाटर की फसल खराब होती जा रही है. इससे किसानों को काफी नुकसान हो चुका है. रंवाई घाटी में हर साल करीब 15 हजार मीट्रिक टन टमाटर की फसल का उत्पादन होता है. अभी मुश्किल से 20 प्रतिशत फसल ही पक कर तैयार हुई है. जिसका काश्तकारों को सहारनपुर और देहरादून की मंडियों में अच्छे दाम मिल रहा है. लेकिन चिंता की बात ये है कि जिन खेतों में टमाटर की फसल तैयार है, उन अधिकांश खेतों में टमाटर की फसल पर झुलसा रोग लग चुका है.
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काश्तकार अजब सिंह रावत, सुनील रावत, बलवीर सिंह का कहना है कि इस रोग के कारण टमाटर के पौधों की पत्तियां पिली पड़ रही हैं. टमाटर के दाने काले पड़कर झड़ रहे हैं. एक ही रात में टमाटर के कई दाने सड़कर खराब हो रहे हैं. उद्यान सचल दल केंद्र के प्रभारी हरपाल सिंह राणा का कहना है कि इस झुलसा रोग के नियंत्रण के लिए प्रारंभिक अवस्था में पहचान जरूरी है, ताकि रोग के प्रसार को शुरुआत में ही रोका जा सके. उन्होंने रोग के रोकथाम के लिए मैन्कोजेब 30 ग्राम प्रति लीटर और रिडोमिल गोल्ड को दो ग्राम प्रति लीटर पानी में मिला कर छिड़काव करने का सुझाव दिया है.