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बुजुर्ग मां को बेटों ने किया 'अनाथ', भटकते हुए मिला बेटी का साथ

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Published : Jun 27, 2019, 12:29 PM IST

Updated : Jun 27, 2019, 1:13 PM IST

बच्चों को पाल-पोसकर बड़ा करने के बाद उनके सितम की वजह से उत्तरकाशी में एक बुजुर्ग बेघर हो गईं. छत के लिए दर-दर की ठोकर खाती महिला को आखिर में अपनी बेटी और दामाद का सहारा मिला, जो उन्हें अपने साथ ले गए.

बेसहारा बुजुर्ग महिला.

उत्तरकाशी: जिंदगी हमारी सितम हो गई, खुशियां न जानें कहा दफन हो गईं... 85 साल की सुमनी देवी भी कुछ ऐसा ही सोचती हैं. इसे समय का फेर कहें या अपनों का सितम, जिनके लिए बुजुर्ग महिला ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया वो अपने आज इन्हें बेगाना बनाकर अकेले छोड़ गए हैं. उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक की रहने वाली इस बुजुर्ग महिला के 3 बेटे हैं, जो इन्हें अपने घर में रखने को तैयार नहीं हैं. इस वजह से बुजुर्ग और बीमार महिला को नौगांव के मुख्य बाजार की सड़कों पर आसरे के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

बेसहारा बुजुर्ग महिला.

मजबूर मां आशियाने की मांग राहगीरों से करने के साथ ही एक चौखट से दूसरे चौखट छत की खोज में भटकने को मजबूर हो गई है. बेसहारा मजबूर महिला को इस तरह सड़कों पर भटकते देख एक भले आदमी ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. लोगों ने घर का पता मिलने पर बुजुर्ग महिला के बेटों को इत्तिला किया लेकिन किसी ने भी आने से मना कर दिया. जब भी गैरों की इनायत देखी, हमको अपनों के सितम याद आये...

homeless old lady of uttarkashi
उठने की कोशिश करती बेसहारा बुजुर्ग.

पढ़ें- मसूरी में ITBP की प्रतियोगिता का आगाज, जवान दिखा रहे दमखम

किसी तरह से राहगीरों और पुलिस ने बुजुर्ग सुमनी देवी की इस हालत की जानकारी उनकी बेटी तक पहुंचाई, जो उन्हें अपने साथ ले गई. इस तरह की घटना से याद आता है कि किस तरह ये समाज बेटियों को दुत्कारते हुए बेटों को ही बढ़ावा देने में लगा है. बेटों की चाहत में बेटियों को जन्म से पहले ही मारकर लड़कों को तरजीह देना हमारी देश की समाजिक कुरीतियों में से एक है. बेटियों को तो कोख में ही मारते हो, क्या खुद किसी बेटे की कोख से आते हो...

homeless old lady of uttarkashi
आसरे की आस में दर-दर भटकती बुजुर्ग मां.

नौगांव चौकी प्रभारी प्रदीप तोमर ने फोन पर ईटीवी भारत को बताया कि चार-पांच दिन पहले इस बुजुर्ग महिला को घर से बाहर निकालने का मामला सामने आया था. उसके बाद बुजुर्ग महिला के परिजन से संपर्क किया गया तो बड़कोट से महिला की बेटी और दामाद नौगांव आये और उन्हें अपने साथ ले गए.

पढ़ें- पलायन की एक हकीकत यह भीः राजधानी के पास बसे इस गांव के बच्चे जाते हैं 14

इस वाकये के बाद मां का मन जरूर चीख-चीखकर कह रहा होगा - अगले जनम मोहे बिटिया ही दी जो. भगवान ने भी क्या खूब रिश्ता बनाया है, जिन जिम्मेदारियों को बेटे न निभा सके उन्हें बेटियों ने निभाया है...

उत्तरकाशी: जिंदगी हमारी सितम हो गई, खुशियां न जानें कहा दफन हो गईं... 85 साल की सुमनी देवी भी कुछ ऐसा ही सोचती हैं. इसे समय का फेर कहें या अपनों का सितम, जिनके लिए बुजुर्ग महिला ने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया वो अपने आज इन्हें बेगाना बनाकर अकेले छोड़ गए हैं. उत्तरकाशी के नौगांव ब्लॉक की रहने वाली इस बुजुर्ग महिला के 3 बेटे हैं, जो इन्हें अपने घर में रखने को तैयार नहीं हैं. इस वजह से बुजुर्ग और बीमार महिला को नौगांव के मुख्य बाजार की सड़कों पर आसरे के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है.

बेसहारा बुजुर्ग महिला.

मजबूर मां आशियाने की मांग राहगीरों से करने के साथ ही एक चौखट से दूसरे चौखट छत की खोज में भटकने को मजबूर हो गई है. बेसहारा मजबूर महिला को इस तरह सड़कों पर भटकते देख एक भले आदमी ने इसकी जानकारी पुलिस को दी. लोगों ने घर का पता मिलने पर बुजुर्ग महिला के बेटों को इत्तिला किया लेकिन किसी ने भी आने से मना कर दिया. जब भी गैरों की इनायत देखी, हमको अपनों के सितम याद आये...

homeless old lady of uttarkashi
उठने की कोशिश करती बेसहारा बुजुर्ग.

पढ़ें- मसूरी में ITBP की प्रतियोगिता का आगाज, जवान दिखा रहे दमखम

किसी तरह से राहगीरों और पुलिस ने बुजुर्ग सुमनी देवी की इस हालत की जानकारी उनकी बेटी तक पहुंचाई, जो उन्हें अपने साथ ले गई. इस तरह की घटना से याद आता है कि किस तरह ये समाज बेटियों को दुत्कारते हुए बेटों को ही बढ़ावा देने में लगा है. बेटों की चाहत में बेटियों को जन्म से पहले ही मारकर लड़कों को तरजीह देना हमारी देश की समाजिक कुरीतियों में से एक है. बेटियों को तो कोख में ही मारते हो, क्या खुद किसी बेटे की कोख से आते हो...

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आसरे की आस में दर-दर भटकती बुजुर्ग मां.

नौगांव चौकी प्रभारी प्रदीप तोमर ने फोन पर ईटीवी भारत को बताया कि चार-पांच दिन पहले इस बुजुर्ग महिला को घर से बाहर निकालने का मामला सामने आया था. उसके बाद बुजुर्ग महिला के परिजन से संपर्क किया गया तो बड़कोट से महिला की बेटी और दामाद नौगांव आये और उन्हें अपने साथ ले गए.

पढ़ें- पलायन की एक हकीकत यह भीः राजधानी के पास बसे इस गांव के बच्चे जाते हैं 14

इस वाकये के बाद मां का मन जरूर चीख-चीखकर कह रहा होगा - अगले जनम मोहे बिटिया ही दी जो. भगवान ने भी क्या खूब रिश्ता बनाया है, जिन जिम्मेदारियों को बेटे न निभा सके उन्हें बेटियों ने निभाया है...

Intro:हेडलाइन-सड़कों पर दर-दर भटक रही बुजुर्ग महिला। नोट- इस खबर की वीडियो मेल से भेजी गई है। उत्तरकाशी। इसे समय का फेर कहें या अपनों का सितम। जिनके लिए पूरा जीवन समर्पित कर दिया। तो अपनों ने ही आज बेगाना कर दिया है। ऐसी ही एक कहानी जनपद के नौगांव ब्लॉक की 85 वर्षीय सुमनी देवी की। बताया जा रहा है कि महिला के 3 बेटे हैं। जो कि बुजुर्ग महिला को घर मे रखने को तैयार नहीं हैं। बुजुर्ग और बीमार महिला को नौगांव ब्लॉक के मुख्य बाजार में सड़कों पर दर दर भटकने के लिए मजबूर कर दिया गया। स्थानीय लोगों ने इसकी सूचना पुलिस को दी। तो उसके बाद बुजुर्ग महिला की बेटी उन्हें अपने घर ले गई। लेकिन यह सवाल उठता है कि मिन्नतों के बाद लोग बेटा मांगते हैं। लेकिन वही बेटे माँ को इस तरह छोड़ देते हैं।


Body:वीओ-1, जानकारी के अनुसार नौगांव ब्लॉक की 85 वर्षीय सुमनी देवी,जो कि पैरलाइज बीमारी से भी ग्रसित है। स्थानीय लोगों से मिली सूचना के अनुसार सुमनी देवी के तीन बेटे हैं। जिनमे से एक भी माँ को अपने साथ रखने को तैयार नहीं है। बल्कि माँ को दर दर की ठोकरें खाने के लिए सड़क पर छोड़ दिया। बेसहारा और मजबूर माँ आशियाने के लिए दर दर भटकती और राहगीरों से आशियाने की मांग करती। इसकी सूचना स्थानीय लोगों ने पुलिस को दी। पुलिस ने बुजुर्ग महिला के बेटों को मां को ले जाने को कहा। लेकिन बेटे फिर भी नहीं माने।


Conclusion:वीओ-2, नौगांव चौकी प्रभारी प्रदीप तोमर ने फ़ोन पर जानकारी दी कि चार पांच दिन पूर्व बुजुर्ग महिला को घर से बाहर निकालने का मामला सामने आया था। उसके बाद बुजुर्ग महिला के परिजनों से संपर्क किया गया। तो बड़कोट से महिला की बेटी और दामाद नौगांव आये और उसके बाद उन्हें साथ ले गए हैं।
Last Updated : Jun 27, 2019, 1:13 PM IST
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