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कोरोना वायरस: ग्रामीण महिलाएं बना रहीं मास्क - Mask made by Rural Women

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में ग्रामीण महिलाएं एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत घरों में ही मास्क तैयार कर रही हैं. महिलाओं द्वारा बनाया गया ये मास्क मनरेगा मजदूरों को बांटा जा रहा है. खास बात यह है कि इस मास्क की धुलाई करके दोबारा पहना जा सकता है.

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एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत ग्रामीण महिलाएं बना रही है मास्क
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Published : Apr 29, 2020, 6:55 PM IST

Updated : Apr 29, 2020, 9:41 PM IST

उत्तरकाशी: देश में वैश्विक महामारी के चलते ग्रामीण महिलाएं एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत घरों पर मास्क तैयार कर रही हैं. जिससे ग्रामीण महिलाओं को आजीविका का घर मे एक साधन उपलब्ध हो जाए. वहीं इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों आईएलएसपी की मदद से हैंडमेड मास्क को गांव में इन दिनों मनरेगा के कार्यों में लगे हुए ग्रामीणों और मजदूरों को उपलब्ध करवा रहे हैं. जिससे कि मनरेगा मजदूरों को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सके.

ग्रामीण महिलाएं बना रहीं मास्क

एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन के चलते कपड़ा उपलब्ध करा कर घर पर ही मास्क बनवाए जा रहे हैं. जिससे की महिलाओं को घर पर ही स्वरोजगार मिल सके. इस परियोजना के तहत जनपद के सभी ब्लॉकों में महिला स्वयं सहायता समूह करीब 500 से 1000 मास्क तैयार कर रहीं हैं. इस मास्क को साफ करके दोबारा प्रयोग किया जा सकता है.

ये भी पढ़ें: अपनों के इंतजार में वरुणा घाटी के लोग, बच्चों को वापस लाने की गुहार

जिला परियोजना प्रबधंक एसके तिवारी ने बताया कि उत्तरकाशी में कोरोना सक्रंमण के चलते सबसे पहले यह मुहिम शुरू की गई थी. जिसमें ग्रामीण महिलाओं से ही मास्क बनवाया जाए. जिससे कि उनकी आजीविका इस लाकडाउन में चलती रहे. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मदद से इस मुहिम को रोजगार और सुरक्षा के दृष्टिकोण से आगे बढ़ाया जाए. क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुजा नेगी का कहना है कि इस मुहिम के तहत दोनों तरफ से ग्रामीणों को ही लाभ हो रहा है. क्योंकि जहां ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, दूसरी तरफ मनरेगा मजदूरों की सुरक्षा भी हो रही है.

उत्तरकाशी: देश में वैश्विक महामारी के चलते ग्रामीण महिलाएं एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत घरों पर मास्क तैयार कर रही हैं. जिससे ग्रामीण महिलाओं को आजीविका का घर मे एक साधन उपलब्ध हो जाए. वहीं इस मुहिम को आगे बढ़ाते हुए स्थानीय जनप्रतिनिधियों आईएलएसपी की मदद से हैंडमेड मास्क को गांव में इन दिनों मनरेगा के कार्यों में लगे हुए ग्रामीणों और मजदूरों को उपलब्ध करवा रहे हैं. जिससे कि मनरेगा मजदूरों को कोरोना के संक्रमण से बचाया जा सके.

ग्रामीण महिलाएं बना रहीं मास्क

एकीकृत आजीविका सहयोग परियोजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में लॉकडाउन के चलते कपड़ा उपलब्ध करा कर घर पर ही मास्क बनवाए जा रहे हैं. जिससे की महिलाओं को घर पर ही स्वरोजगार मिल सके. इस परियोजना के तहत जनपद के सभी ब्लॉकों में महिला स्वयं सहायता समूह करीब 500 से 1000 मास्क तैयार कर रहीं हैं. इस मास्क को साफ करके दोबारा प्रयोग किया जा सकता है.

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जिला परियोजना प्रबधंक एसके तिवारी ने बताया कि उत्तरकाशी में कोरोना सक्रंमण के चलते सबसे पहले यह मुहिम शुरू की गई थी. जिसमें ग्रामीण महिलाओं से ही मास्क बनवाया जाए. जिससे कि उनकी आजीविका इस लाकडाउन में चलती रहे. उन्होंने कहा कि हमारा प्रयास है कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मदद से इस मुहिम को रोजगार और सुरक्षा के दृष्टिकोण से आगे बढ़ाया जाए. क्षेत्र पंचायत सदस्य तनुजा नेगी का कहना है कि इस मुहिम के तहत दोनों तरफ से ग्रामीणों को ही लाभ हो रहा है. क्योंकि जहां ग्रामीण महिलाओं को रोजगार मिल रहा है, दूसरी तरफ मनरेगा मजदूरों की सुरक्षा भी हो रही है.

Last Updated : Apr 29, 2020, 9:41 PM IST
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